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श्री ममल पाहुइ जी स्रोवर सु कमल उवनं, सुइ रमन सिद्धि रमनं । तं गुपित न्यान मिलनं, तं तिविहि कम्मु गलनं ॥ १२ ॥
॥सन्यानी.॥ तं नंत लष्य लषनं, परिनामु ममल मिलनं । परिनवै गर्भ ग्रहनं, तित्थयर रमन रमनं ॥ १३ ॥
॥सन्यानी.॥ स्रोवर सु कमल उवनं, षट् दिप्ति ममल भवनं । तिअर्थ अर्थ रहनं, अस्थान थान मिलनं ॥ १४ ॥
॥सन्यानी.॥ श्री दिप्ति सिद्धि सुरयं, परिनामु नंत ममलं । श्री सांति सुद्ध सुवनं, श्री दिप्ति मुक्ति मिलनं ॥ १५ ॥
॥सन्यानी.॥ ही दिप्ति हिययार हियं, हिय नंत न्यान रखनं । दरसै सु नंत मइयं, हिय चरन न्यान चरियं ॥ १६ ॥
॥सन्यानी.॥ ध्रिति धुवं ममल मिलियं, तं लोय लोय अवलं । कीर्ति सुक्रित कम्मु गलनं, तं क्रांति उवन ममलं ॥ १७ ॥
॥सन्यानी.॥ बुधि बुधि न्यान उवनं, तं नंत नंत गमनं । लषियं अलष्य लषनं, मै ममल न्यान भवनं ॥ १८ ॥
॥ सन्यानी.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी षट् दिप्ति दिप्ति दिपनं, तं नंत नंत गमनं । दसैंति न्यान सयनं, तं नंत नंत ममलं ॥ १९ ॥
॥सन्यानी.॥ तित्थयर गर्भ उवनं, तं नंत न्यान भवियं । परिनामु नंत लषियं, तं सिद्धि मुक्ति मिलियं ॥ २० ॥
॥सन्यानी.॥ सिर कमल दिप्ति उवनं, सुइ सहज गम्य गमनं । जोजन सतु सहसं, तं लष्य भाव सुवनं ।। २१ ।।
॥स न्यानी.॥ तं दुग्न दुग्न उवनं, लष्यन लषियं भवनं । बत्तीस लष्य लषियं, संजोय चरन चरियं ॥ २२ ।।
॥सन्यानी.॥ चौसठि चरन चरियं, तित्थयर गर्भ मिलनं । परिनामु नंत ममलं, उव उवन मुक्ति मिलनं ॥ २३ ॥
॥स न्यानी.॥ तं समय उत्तु उवनं, सम समय साधु मिलनं । तं नंत कम्मु गलनं, अन्मोय मुक्ति मिलनं ॥ २४ ।।
॥स न्यानी.॥ तं समय सुद्ध सजनं, सहकार विंद मिलनं । विन्यान न्यान रवनं, अन्मोय सिद्धि गमनं ॥ २५ ॥
॥ सन्यानी.॥
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