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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणीजी
श्री ममल पाहुइ जी रहनु विलय जिन रहनु रहिउ, रहि पर्जय विलयतु । दिप्ति दिस्टि सुइ न्यान पउ, विन्यान मुक्ति दर्सतु ॥ १५ ॥ रमनु विलय जिन रमनु रमिउ, रमियो उवनु हिययार । सहयार रमनु साहिउ ममलु, अमिय रस रमन हिययार ॥ १६ ॥ दंसु गलिय जिन दर्स धरिउ, दिस्टि गलिय जिन दिस्टि । तारन तरन सहाउ लई, धम्मु इस्टि परमिस्टि ॥ १७ ॥ लषु गलिय जिन लषु लषिउ, जिनयति कम्म सहाउ । भय विनासु भवु जु मुन', अमिय ममल सुभाउ ॥ १८ ॥ अलष गलिय जिन अलषु लषिउ, लषतउ ममल सहाउ । भय षिपनिकु पर्जय विलयं, विषु विलय अमिय रस भाउ ॥ १९ ॥ गंमु गलिय जिन गमु गमिऊ, गम दिप्ति दिस्टि उव उत्तु । सब्द इस्टि सुइ अमिय मउ, भय षिपिय ममल दर्सतु ॥ २० ॥ अगमु गलिय जिनु अगमु गमिउ, गमियो नंतानंतु । विंद विन्यान सु समय मउ, धम्मु रमनु सिव पंथु ॥ २१ ॥ लब्धि गलिय जिन लब्धि पउ, जिनियो कम्मु सहाउ । पर्जय भय विलयंतु सुइ, अमिय रस ममल सुभाउ ॥ २२ ॥ परम परम परिनामु धरि, परम न्यान सहकार । पर पर्जय भय सल्य विली, परम धर्म सहकार ॥ २३ ॥
(६) तत्तु सार फूलबा
गाथा ८६ से १०२ तक
(विषय : १७ सक, तत्त्व का सार) उव उवनौ हो, न्यान विन्यानह तत्तु सहाए । सो तत्तु जु हो, उत्तउ जिनवर ममल सहाए । मल रहियो हो, उवनु जु दाता देव सहाये । तत्कालह हो, उवनु जु समइ तत्तु सुभाये ॥ १ ॥ दिपि दिस्टि जु हो, देव सहाए सब्द सहाए । तं सब्द विवान प्रियो, सुइ मुक्ति सहाए ॥ २ ॥
॥आचरी॥ तत्कालह हो, समय उवनउ न्यान सहाये । सो न्यान विन्यान, उनउ तत्तु सहाये ॥ सहकारह हो, तत्काल उनउ अवयास सहाये । अवयासह हो, तत्काल उर्वनउ अन्मोय सहाये ॥ ३ ॥
॥दिपि दिस्टि.॥ अन्मोयह हो, न्यान विन्यानह षिपक सहाये । सो षिपनिकु हो, उवनउ स्वामी ममल सुभाये ॥ सो तत्तु जु हो, परम तत्तु यहु परम सुभाये । जिन कहियो हो, परम तत्तु उत्पन्न सहाये ॥ ४ ॥
॥ दिपि दिस्टि.॥ तत्कालह हो, उवनउ स्वामी ममल सुभाए । सहकारे हो, उवनउ स्वामी परम सुभाए ।