________________
श्री ममल पाहुइ जी
ममल मत
श्री ममल पाहुड़ जी
(१) श्री देव विप्नि गाथा
गाथा १ से १७ तक (विषय : देव को स्वरुप सहित नमस्कार, शुद्धात्म स्वरूप की महिमा) तत्त्वं च नंद आनंद मउ, चेयननंद सहाउ । परम तत्त्व पद विंद पउ, नमियो सिद्ध सुभाउ ॥ १ ॥ जिनवर उत्तउ सुद्ध जिनु, सिद्धह ममल सहाउ । न्यान विन्यानह समय पउ, परम निरंजन भाउ ॥ २ ॥ परम पयं परमानु मुनि, परम न्यान सहकार । परम निरंजन सो मुनहु, ममलह ममल सहाउ ॥ ३ ॥ भय विनासु भवु जु मुनहु, परमानंद सहाउ । परम निरंजन सो मुनहु, ममलह सुद्ध सहाउ ॥ ४ ॥ देव जु दिट्ठह जिनवरहं, उवनउ दाता देउ । न्यान विन्यानह ममल पउ, सु परम पउ जोउ ॥ ५ ॥ दिप्त दिप्ति तं दिस्ट समु, दिप्त दिस्ट सम भेउ । दिस्टि सब्द विवान सुइ, उत्पन्नउ दाता देउ ॥ ६ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी दिप्त दिस्ट सुइ नंत मुनि, कमल इस्टि परमिस्टि । सुर्य लब्धि तं स्यन पउ, दिपि नंत चतुस्टै संजुत्तु ॥ ७ ॥ अंगदि अंगह दिपि दिस्ट मउ, सब्द हिययार संजुत्तु । अर्थ तिअर्थ जु कमल रुइ, गिर दिप्त दिस्टि संजुत्तु ॥ ८ ॥ दिप्ति दिस्टि सुइ सब्द मउ, हिय हुवयार संजुत्तु । अर्क विंद तं रमन पउ, उव उवनउ दाता देउ ॥ ९ ॥ उव उवन उवन हिययार पउ, सहयार दिप्ति संजोई । न्यान विन्यान जु दिस्टि मउ, दिपि दिस्टि देइ सुइ देउ ॥ १० ॥ जं जं उवन सहाव जिनु, दिपि दिस्टि उवन उव उत्तु । सब्द उनउ उवन मउ, उव उवन दिस्टि दर्सतु ॥ ११ ॥ जं दर्सिउ नंतानंत मउ, न्यान वीर्य विन्यानु । नंत सौष्य सुइ परम पउ, तं देइ देउ उववंनु ॥ १२ ॥ परम न्यान तं परम पउ, परम भाव सोई भेउ । नंतानंत सु देउ पउ, परम देउ सोई देउ ॥ १३ ॥ नो उत्पन्न तं सो जिनई, जिनियो नंतानंतु । नंत उवन सुइ रमन मउ, जिन जिनवर सुइ उत्तु ॥ १४ ॥ परम उवन जो रमन मउ, परम न्यान सुइ जुत्तु । परम उवन जु जिनय जिनु, उववंन विली जिन उत्तु ॥ १५ ॥ परम सुभावह परम रउ, परम परम जिन उत्तु । परम लष्य गम अगम पउ, परम परम जिन उत्तु ॥ १६ ॥ ममलं ममल उर्वनं, भय षिपिय ससंक विलयंति । कम्मं उवनं विलियं, भय षिपनिक ममल पाहुडं बोच्छं ॥ १७ ॥
(१५१)