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श्री चौबीस ठाणा जी
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
जिन लष्य । सहकार जिन गुपित अलष्य । सहकार जिन गुहिज गुपित अन्मोद । सहकार जिन सुयं लब्धि उत्पन्न । आदि न्यान जिन सूष्यम सुभाव । अनंत अन्मोद । इन्द्री प्रान चतुर्दस सुभाव । अनंत विसेष न्यान अन्मोद रंज-५। रमन -५। नंद चरन-५ । इस्टि परमिस्टि न्यान-५ । सम्मत्त अर्क-५॥
भय विनस्य भय विली - चतुस्टय नंत अरहंत सुभाव । अंगदि अंग दर्स, संमिक दर्स, अनंत दर्स, श्री संमिक दर्स, न्यान, चरन संजुक्त । दात्र पात्र सुभाव सहकार । संकल्प विकल्प मुक्त । रमन न्यान अन्मोद अनंत विसेष कलन सुभाव । अनंत विसेष कलन, न्यान अन्मोद कलन, कलन सहकार कलन सुभाव । कलन न्यान उत्पन्न अनादि कम्म उत्पन्न विली । न्यान मुक्त रमन । न्यान अनंत काल भुक्तं कम्म विली। न्यान अन्मोय नंद आनंद - विनंद कम्म विली, सुपन विली। न्यान अन्मोद अबलबली - विषय गली, कलन जिन उत्तं समय सहकार। अनंत विसेष कलनं भवतु । न्यान अन्मोद मुक्ति गामिनो भवतु ॥
॥ इति तृतीयोऽध्यायः समाप्तम् ॥
चतुर्थ अध्याय
दर्स, जिन इस्ट लषु, जिन उत्पन्न लषु, जिन उत्पन्न रमन, जिन इस्ट रमन, जिन जीव आह्वान। जिन षिपक जिन । धुव रमन जिन । जिन इस्ट उत्पन्न सुर्य लब्धि । जिन उत्पन्न इस्ट लब्धि सुयं । जिन हितकार सुर्य । इस्ट लब्धि जिन उत्पन्न हितकार । उत्पन्न इस्ट सुयं सुर्ग सुभाव रमन । क्रांति २, अस्फटिक २, रूवे ४, सब्द ४, मनपर्जय ४, षिपक सुयं इस्ट लब्धि, इस्ट षिपक सुर्य उत्पन्न इस्टि हितकार रमन अर्क इत्यादि-६॥ जानु इस्ट उत्पन्न सुर्य लब्धि रमन सुभाव जिननाथ ।।
जिन उक्त, जिन दर्स, जिन वयन अतीन्द्रिय सुभाव इन्द्रिय विली। विषय विलय। राग जनरंजन विलय, दोष कलरंजन विलय, गारव मनरंजन विलय, दर्सन मोहांध विलय, आवर्न विलय, मिथ्या विलय, कषाय विलय, अन्यान वय, तप, क्रिया कस्टं विलय । जिन उक्त केवल सुभाव । उक्त केवल न्यान सहकार न्यान औकास न्यान । अन्मोद अबलबली अतेन्दिय सुभाव । भय इस्ट भय उत्पन्न विलय । अभय भय विनस्य । दात्र पात्र न्यान रमन । न्यान विन्यान रमन । न्यान इस्ट रमन । इस्टि न्यान उत्पन्न रमन । इस्टि रमन न्यान कलन रमन । न्यान गम्य रमन । न्यान अगम्य रमन । रंज रमन । आनंद रमन । अतेन्दी सहकार जिन उक्तं न दिस्टते । केन विसेष - इंदी सुभाव इन्दी इस्ट सुभाव । इंदी उत्पन्न इंदी विषय । इस्टि विषय उत्पन्न इस्टि- मिथ्या राग दोष कषाय इस्ट आवरन न्यान, दर्सन मोहांध, सक, सल्य, संक, भय सहित भयभीत इंदी सुभाव दिस्टते । इंदी निरोध विरोध । अन्मोद इंदी विषय सहकार, इंदी सुभाव अन्यान वय तव क्रिया ससंक भाव, इंदी सुभाव अन्मोद, इंदी प्रभाव अनंत भाव इंदी अन्मोद, अतेन्दी भाव न दिस्टते । इंदी सभाव
पंचेनिय सुभाव निरूपन -
जिन उक्त, जिन वयन, जिन दिस्टि, जिन इस्टि, जिन रस्टि, जिन रिस्टि. जिन समय इस्टि, जिन सह इस्टि, जिन उत्पन्न इस्टि, जिन सहकार इस्टि, जिन औकास इस्टि, जिन अन्मोद न्यान दिस्टि, जिन षिपक दिस्टि, जिन मुक्त, जिन इस्टि, जिन उत्पन्न इस्टि, जिन इस्ट दर्स, जिन उत्पन्न
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