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श्री चौबीस ठाणा जी
जिन उत्पन्न परमिस्टी। जिन चतुस्टय इस्ट । जिन चतुस्टय उत्पन्न इस्ट । जिन रमन इस्ट । जिन उत्पन्न सुयं रमन । जिन रयनत्तय उत्पन्न इस्ट। जिन नंतानंत विसेष । जिन दिप्ति । जिन दिस्टि। जिन अनंत । जिन चरन दर्स इत्यादि । जिन सम्मत्त अन्या इत्यादि। जिन सुयं सुभाव सूष्यम अतींद्री सुभाव । तत्तु दर्व काय पदार्थ सुभाव । सूष्यम विंद विन्यान सुर्य विपक। सूष्यम क्रिया क्रांति प्रतिपाद। जिन समय सहकार रमन जिन। जिननाथ अन्मोद न्यान कम्मस्य विलयं गतः । उत्पन्न न्यान उत्पन्न कम्म विली । उत्पन्न भुक्त न्यान भुक्त कम्म विलयंति । जिन उत्पन्न नंद आनंद। विनंद उत्पन्न विलयंति।न्यान उत्पन्न अन्मोद अबलबली, विषय सुयं विलयं गत: अन्मोद न्यान मुक्ति गतः । तस्य सुभावेन जिन उत्पन्न, जिन परिनै, जिन समय, दिस्टि इस्टि, दर्स सहन सहकार विकलं जांति। विकल सुभाव। विकल दिस्टि। विकल इस्टि। विकल स्थान । विकल रयनत्तय । विकल सयनासन । विकल मिलन । विकल अन्मोद । जिन उक्त स्थान विकलं जांति । विकल उत्पन्न । विकल हितकार । विकल सहकार। जिन उक्त विकलं जांति॥
केन सुभावेन - जनरंजन राग, कलरंजन दोष, मनरंजन गारव, दर्सन मोहांध, न्यान आवरन, दर्सन आवरन, मोहन आवरन, अंतर विसेष, सक, आसा, स्नेह, आदि। मिथ्या आदि तीन सल्य, तीन कुन्यान, कषाय मल, मद्य, मान, विषय, विसन, मिथ्या रमन, दष्येन सुभाव । अनिस्ट व्रत, अनिस्ट तप, अनिस्ट गुन, अनिस्ट पडिमा, अनिस्ट दान, अनिस्ट पात्र, अनिस्ट रयनत्तय, अनिस्ट गुन सिद्ध, अनिस्ट सुयं लब्धि, अनिस्ट दर्स, अनिस्ट लष्य, अनिस्ट अलष्य, अनिस्ट उक्त, अनिस्ट औकास, अनिस्ट अन्मोद-जिन उक्त विकलं जांति । जिन उक्त दात्र पात्र विसेष
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी विकलं जांति । जिन उक्त दात्र पात्र न्यान अन्मोद, न्यान सहकार, न्यान अन्मोद, न्यान मिलन, न्यान परिन, न्यान श्री न्यान, पुरुष न्यान अन्मोद, असहनी सहकार विकलं जांति । विकलत्रय - बे इन्द्री, ते इन्द्री, चौ इन्द्री विकलत्रय उत्पन्न काय जोनीभ्रमन करोति। जिन उक्त विकल विकलत्रय भ्रमन अनंतकाल भ्रमनं करोति । प्रति विकलत्रय बंभ अबंभ रष्य निरोध। अन्यान, न्यान अन्मोद न दिस्टंति विकल । एय विसेष विकलत्रय जोनी भ्रमनं करोति ॥
जदि कदि कालांतर विसेष सभाव सुद्ध जिन उक्त, जिन वयन, जिन दर्स सुभाव, जिन समय, जिन सहकार, जिन औकास, जिन अन्मोद सुभाव उत्पन्नं भवति । तदि काल विसेष निकलै, मन प्राप्तं भवति । जदि कदि कालांतर अनेक बार जदि कलनं सुभाव परिनाम भवति । कलन सहकार कलन सुभाव । न्यान अन्मोद सहकार परिनाम दर्स, न्यान, चरन सुभाव, स्त्री पुंवेद उत्पन्नं भवति॥
अन्मोद न्यान कलन सुभाव निकलै-बीर्ज न्यान सहकार कलन कलित सुभाव । केतीक बार सुभाव कलन उत्पन्न परिनाम भवति । जदि काल जिन उत्तु, जिन परिनै । जिन प्रमान । जिन समय । जिन सहकार । जिन औकास । जिन अन्मोद। जिन षिपक। जिन मुक्ति सुष्य । जिन कमल। जिन रमन। जिनरंज। जिननंद। जिन न्यान। जिन विन्यान। जिन अनंत । जिन नाना प्रकार । जिन अन्मोद न्यान । जिन षिपक । जिन मुक्ति। जिन अषय। जिन सुरय सुयं रमन। जिन विंजन। जिन पद। जिन अर्थ । जिन तिअर्थ । जिन उत्पन्न उत्पन्न जिन । उत्पन्न हितकार रमन । जिन अर्क। जिन विंद। जिन आगंतु । जिन हितकार। जिन हुंतकार। जिन रमन । जिन उत्पन्न । सहकार इस्ट । सहकार जिन सुभाव । सहकार
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