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श्री चौबीस ठाणा जी
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
लाज, लोभ, भय, गारव, आलस, प्रपंच, विभ्रम विली। मिथ्या सक, सल्य,भय, इस्ट उत्पन्न विली। भुक्त विनंद विली। न्यान अन्मोद अबलबली विषय गली। अनेय अनिस्ट व्रत, तव, क्रिया, अनिस्ट सुत अनंत विली। अस्थान न्यान अन्मोद । अस्थान आयरन न्यान प्रियो । अनंत जिनरंज जिननाथ रमन नंद तं परमानंद । अस्थान आयरन सुभाव।
जेन केनापि जीव निकलै अनंत चतुस्टय सुष, साता, बोध, चैतन्य अस्थान आयरन । अनंत विसेष जिन उत्त, जिन वयन, जिन दर्स, जिन लष्य, जिन अलष्य, जिन इच्छ, जिन रंज, जिन रमन, जिन सुभाव, जिन सूष्यम सुभाव, कम्म सुयं विली। अस्थान न्यान आयरन सुभाव जेन केन निव्वानं पदं सिद्धं धुवं॥
॥ इति प्रथीकाय निरूपनं ॥ अथ वनस्पति काय निरूपन -
अथ वनस्पतिकाय उत्पत्ति अस्थान विन्यान सहकार पतनं करोति। तिअर्थ विन्यान आवर्न करोति वनस्पतिकाय जीव भवति ।।
विन्यान न्यान सुद्ध निरूपनं - उत्पन्न न्यान विन्यान विंद । परिनै प्रमान इस्ट उत्पन्न उत्पन्न न्यान विन्यान विंद। उत्पन्न इस्ट उत्पन्न दिस्टि इस्टि इस्ट विन्यान विंद। इस्ट इस्टयंति उत्पन्न उत्पन्न दिस्टि इस्टि विन्यान विंद । उत्पन्न उत्पन्न सब्द असब्द सब्द गुपित सब्द कमल विन्यान विंद। इस्ट उत्पन्न सर सात (७) । विन्यान विंद सब्द उत्पन्न दिस्टि इस्टि चौदह । इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद । सुयं कमल इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद। उत्पन्न सुयं कमल दर्स इस्ट दर्स उत्पन्न विन्यान विंद । कमल इस्ट
इस्ट उस्ट इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद । सुयं उत्पन्न सुयं लब्धि इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद । सुयं हितकार रमन षट् इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद । हितकार सुयं लब्धि इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद। सुयं हितकार काय २, फासे २, रूवे ४, सब्दे ४, मनपर्जय ४, सोलही सुयं लब्धि इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद । सुयं सुद्ध लब्धि षिपक इस्ट उत्पन्न विन्यान विंद । सुयं विपक अस्कंध धुव गुन कुन्यान तीनि:३: विली॥
अस्थान हितकार पद उत्पन्न चेत। अस्थान आयरन इच्छ गम्य अगम्य पद । ईज तिअर्थ मध्य रमन अरुह उत्पन्न उत्पन्न अर्थ गुपित ठकार मुक्ति । इस्ट उत्पन्न विसेष विन्यान सुयं उत्पन्न । गहिर गुपित गुहिज रमन । जिननाथ कमल रमन । वजनाराच संघरन रंज जिन रंज नंद परम विन्यान न्यान इस्ट उत्पन्न । विसेष विन्यान सुयं सद्भाव प्रियो । अनंत मय अवकास रमन । ठकार मुक्ति विन्यान । कंष्या कम्म विली न्यान। निकंध्या इस्ट उत्पन्न विन्यान । कमल दंड हितकार तत्काल रेह टंकोत्कीर्न इस्ट उत्पन्न । विन्यान प्रियो । रमन कमल दंड रमन इस्ट उत्पन्न । दिस्टि इस्टि विन्यान । सुयं सुभाव न्यान चरन, वीर्ज अनंत, सम उवसम, पदवी साधु, आचरन वीर्ज, दर्स अवहि, न्यान अवहि, लेस्या पीत इत्यादि:३:॥
इस्ट उत्पन्न न्यान विन्यान । विन्यान सुयं सूषिम सुभाव चेत उत्पन्न । दंड कपाट इस्ट उत्पन्न । सूषिम सुयं न्यान विन्यान जाता उत्पन्न नो उत्पन्न न्यान टंकोत्कीर्न कमल कलन । इच्छ न्यान उत्पन्न न्यान विन्यान । सुयं सूषिम घन अस्मूह उत्पन्न टंकोति पद परम पद । तत्काल रमन पद । इच्छ गुपित रमन पद। पय उत्पन्न तिअर्थ ईर्ज मध्य रमन पद।