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________________ श्री चौबीस ठाणा जी मुक्ति उत्पन्न रमन । अस्थान अस्थान इस्ट उत्पन्न आयरन मुक्ति तीर्थंकर उत्पन्न सुभाव तस्य अस्थान अस्थान आयरन न्यान इस्ट उत्पन्न आयरन करोति । किं विसेष - जथा अनिस्ट वय तव क्रिया क्लिस्ट । अनिस्ट तव दान पूजा क्लिस्ट अर्थ, विद्या, व्याकरन, सांख्य, तर्क, नैयायिक, ज्योतिष, वेदांग, छन्द, वेद अनिस्ट । मीमांसा, न्याय अनिस्ट । धर्म, अधर्म अनिस्ट । पुराण, विकथा, कलाप अनिस्ट । काव्य अनिस्ट उच्चाटन, मोहन, स्थंभन, विषय विसेष प्रपंच, विभ्रम अनंत । अमर, भरह, पिंगल, अनेक अर्थ, सूर चंद्र संक्रमन, अग्नि पंचाग्नि नट, नाट्य, सुत अनंत । जिनय जिन पद लोपं । कषाय मल, मिथ्या, सल्य, भय, जनरंजन, कलरंजन, मनरंजन, दर्सन मोहांध, मोह, माया, आरति रौद्र अनंत विषय इस्ट उत्पन्न सहित वातकाय विसेष अस्थान उत्पन्न । हितकार सहकार जान पद विंद अनंत आवर्न, न्यान आवर्न, दर्सन आवर्न, मान आवर्न, अंतराय आवर्न, जं अस्थान न्यान उत्पन्न ते तं अस्थान आवर्न न्यान । वातकाय सुभाव वातकाय जीव उत्पन्न प्रवेस भवतु । वातकाय विसेष ॥ जदि कदि विसेष कालंतर भ्रमन सहकार भ्रमत पयोग रहित दुष्य अंतर्मुहूर्त मध्य बारह सहस्र चौबीस (१२०२४) बार जामन मरन भवति ॥ जदि कदि कालंतर अस्थान आयरन विसेष सुभाव उत्पन्न लब्धि भवति, तदि कालंतर निकलै अस्थान आयरन सुभाव ग्रहन ग्रहन ग्रहितं अनंत चतुस्टै सुभाव दर्सन, न्यान, चरन, संमिक् दर्सन, संमिक् न्यान, संमिक् चरन, अनंत दर्सन, अनंत न्यान, अनंत वीर्ज, अनंत सौष्य, श्री संमिक् दर्सन, श्री संमिक् न्यान, श्री संमिक् चारित्र, बल वीर्ज विन्यान, १४० श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी सक, सल्य, भय, गारव, राग, दोस रहित घाति कम्म आवर्न विली, उत्पन्न विली, भुक्तविली, विनंद विली, सुपन विली, अन्मोद न्यान अबलबली विषय गली, जेन केन अस्थान आयरन सुभाव उत्पन्न उत्पन्न सुभाव न्यान अन्मोद। जेन केनापि जीव आयरन सुभाव मुक्ति गतः ॥ ॥ इति बातकाय निरूपनं ॥ अथ प्रिथी काय निरूपनं - अस्थान आवर्न थावर जेन केनापि अस्थान आयरन जिनवर आयरन विसेष | अस्थान उत्पन्न उत्पन्न न्यान अन्मोद दिस्टि । इस्टि प्रियो दिस्टि | उत्पन्न प्रियो इस्टि इस्ट प्रियो । इस्टि उत्पन्न प्रियो । दर्स इस्ट प्रियो । दर्स उत्पन्न प्रियो । लक्ष्य इस्ट प्रियो । लक्ष्य उत्पन्न प्रियो । अर्थ इस्ट प्रियो । अर्थ उत्पन्न प्रियो । सुयं अर्क इस्ट रमन सुर रमन प्रियो । सुयं अर्क इस्ट सुयं रमन उत्पन्न प्रियो । कमल इस्ट प्रियो । कमल उत्पन्न इस्ट प्रियो । तत्काल रै रमन प्रियो । तत्काल इस्ट उत्पन्न उत्पन्न प्रियो । कमल ठकार इस्ट प्रियो । कमल ठकार उत्पन्न इस्ट प्रियो । प्रियो उत्पन्न प्रियो । प्रिय ठकार मुक्ति प्रियो । दिस्टि इस्टि चेत प्रियो । दिस्टि ईर्ज उत्पन्न चेत प्रियो । न्यान सहकार इस्ट कलन प्रियो । न्यान सहकार इस्ट कलन उत्पन्न प्रियो । विन्यान षिपक डंड उत्पन्न इस्ट प्रियो । विन्यान षिपक डंड उत्पन्न उत्पन्न प्रियो । रति ईर्ज इस्ट रमन प्रियो । रति ईर्ज इस्ट उत्पन्न रमन प्रियो । कांष्या कमल कम्म षिपक इस्ट प्रियो। कांष्या कमल कम्म षिपक उत्पन्न न्यान अन्मोद प्रियो । निसंक न्यान इस्ट प्रियो । निसंक न्यान इस्ट उत्पन्न प्रियो । सक, सल्य, संक, भय विली इस्ट प्रियो । संक, सल्य, भय विली इस्ट उत्पन्न प्रियो । व्रिति सरनि विली, व्रित सरनि व्रिति, -
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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