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________________ श्री चौबीस ठाणा जी तेन्द्रिय वचन । तेन्द्रिय क्रांति । तेन्द्रिय सयनासन । तेन्द्रिय ग्राह । तेन्द्रिय हितकार । तेन्द्रिय औगाह । तेन्द्रिय बाधा सुभाव । तेन्द्रिय भय । तेन्द्रिय उत्पन्न भय । तेन्द्रिय दिस्टिभय । तेन्द्रिय झड़प भय । तेन्द्रिय न्यान रमन। तेन्द्रिय विन्यान रमन । तेन्द्रिय प्रियो। तेन्द्रिय रूव। तेन्द्रिय अध्यर। तेन्द्रिय सुर । तेन्द्रिय विंजन । तेन्द्रिय मात्रा। तेन्द्रिय कानो। तेन्द्रिय पद । तेन्द्रिय अर्थ । तेन्द्रिय तिअर्थ । तेन्द्रिय सहकार । तेन्द्रिय समय । तेन्द्रिय औकास । तेन्द्रिय रमन । तेन्द्रिय लंक्रित । तेन्द्रिय मई । तेन्द्रिय नाना प्रकार । तेन्द्रिय सुभाव, अस्थान आयरन भवतु । अनंत तेन्द्रिय सुभाव, तेन्द्रिय अनंतानुबंध । तेन्द्रिय सुभाव तेजकाय जीव उत्पत्ति, पयोग हीन, संजोग चतुस्टै हीन, भ्रमन अंतर्मुहूर्त बारह सहस्र चौबीस (१२०२४) बार अंतर्मुहूर्त तेजकाय मरई जन्मई। अनन्त काल कालंतर जामन मरनं भवतु अनंत काल तेन्द्रिय सुभाव । जदि कालंतर तेन्द्रिय विरच, कोमल सहकार, न्यान अवगाह, दर्सन, न्यान, अदर्स, अचष्य, न्यान गुपित रमन, न्यान अनंतानंत, मल विली. विषय विली, विनंद विली, तेन्द्रिय उत्पन्न विली, तेन्द्रिय भुक्त विली, तेन्द्रिय अन्मोद विली, न्यान रमन उत्पन्न अन्मोद विली विषय विलयं गता, तदि मुक्त सुभाव रमन न्यान मुक्ति गामिनो भवतु ॥ ॥ इति तेजकाय निरूपनं ॥ अथ वातकाय सुभाव निरूपनं - ___उत्पन्न उत्पन्न इस्ट। उत्पन्न उत्पन्न उस्ट इस्ट। दर्स दर्स इस्ट । उत्पन्न दर्स दर्स इस्ट । इस्ट उत्पन्न इस्ट इस्ट रमन । उत्पन्न इस्ट मय मूर्ति । इस्ट रंज उत्पन्न रंज इस्ट। लष्य उत्पन्न लष्य इस्ट। चेय उत्पन्न चेय इस्ट। वेय श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी उत्पन्न वेय इस्ट । इच्छ उत्पन्न इच्छ इस्ट। पिऊ उत्पन्न पिऊ इस्ट । इस्ट रहनि उत्पन्न रहनि इस्ट । ग्रहनि उत्पन्न ग्रहनि इस्ट। मिलनि उत्पन्न मिलनि इस्ट । सहनि उत्पन्न सहनि इस्ट । पेषु उत्पन्न पेषु इस्ट । हित उत्पन्न हित इस्ट। औगाह उत्पन्न औगाह इस्ट । अगुरुलघु उत्पन्न अगुरुलघु इस्ट। अवाधा उत्पन्न अवाधा इस्ट । षिपक उत्पन्न षिपक इस्ट । जानु उत्पन्न जानु इस्ट । गुपित उत्पन्न गुपित इस्ट । गुहिज उत्पन्न गुहिज इस्ट । पद उत्पन्न पद इस्ट । विंद उत्पन्न विंद इस्ट । अस्थान उत्पन्न अस्थान इस्ट। आयरन उत्पन्न आयरन इस्ट । लब्धि उत्पन्न लब्धि सुयं । षिपक उत्पन्न षिपक इस्ट । अस्कंध उत्पन्न अस्कंध इस्ट । धुव उत्पन्न धुव इस्ट । मै रमन उत्पन्न मै रमन । मौ औकास रमन मौ उत्पन्न औकास रमन । गम्य अगम्य रमन, रमन गम्य अगम्य उत्पन्न रमन । कुन्यान विली उत्पन्न कुन्यान विली इस्ट । कुमति विली उत्पन्न कुमति विली इस्ट । कुमुति विली उत्पन्न कुस्रति विली इस्ट । कुऔधि विली उत्पन्न कुऔधि विली हितकार। अस्थान थुति पद उत्पन्न हितकार अस्थान थति पद । इस्ट उत्पन्न पद । उत्पन्न उत्पन्न रमन । उत्पन्न उत्पन्न इस्ट इस्ट रमन । चेत औकास इस्ट रमन । चेत औकास उत्पन्न रमन । अस्थान इस्ट आयरन, अस्थान उत्पन्न आयरन । रमन रंजनंद आनंद इच्छ गुपित न्यान आयरन रमन। इस्ट इच्छ गुपित उत्पन्न इस्ट न्यान रमन । पद ईर्ज तिअर्थ इस्ट रमन । पद ईर्ज तिअर्थ उत्पन्न रमन । मध्य गुपित अनंत इस्ट रमन । मध्य गुपित अनंत इस्ट उत्पन्न रमन । उत्पन्न विमल इस्ट रमन । उत्पन्न सुद्ध विमल उत्पन्न रमन । आत्म गुन गुपित ठकार इस्ट रमन । आत्म गुन गुपित ठकार
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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