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श्री चौबीस ठाणा जी
अथ तेज काय निरूपन
एकेंदी निरूपनं - थावर गति - अस्थान न्यान आवर्न थावर । तेजकाय निरूपनं - गति त्रिजंच । अस्थान न्यान आवर्न थावर । आयरन आयरन सुद्ध मुक्ति गामिनो । कस्य आयरन उत्पन्न ? उत्पन्न आयरन उत्पन्न विंद । उत्पन्न विन्यान । उत्पन्न पद । उत्पन्न अर्थ । उत्पन्न
औकास। उत्पन्न अन्मोद। उत्पन्न विपक। उत्पन्न मुक्ति रमन । उत्पन्न न्यान रमन । आनंद नंद उत्पन्न । दिस्टि इस्टि उत्पन्न । सूषिम सुयं विपन सुभाव उत्पन्न । श्री रमन आयरन श्री मुक्ति सुभाव । जदि विसेष उत्पन्न सर्वेपि अप्प सहकार उत्पन्न उत्पन्न हितकार । आयरन हितकार उत्पन्न हितकार अस्थान इस्टभय विनस्य। हितकार उत्पन्न भय विनस्य। हितकार अचष्य भय इस्ट विनस्य । अचष्य रूव उत्पन्न भय इस्ट विनस्य । सुर्य न्यान रमन आयरन रमन काय रमन ।
क्रांति - इस्ट न्यान विन्यान श्री आयरन क्रांति । उत्पन्न इस्ट पूर्व सहकार पुरिस क्रांति । रमन आयरन फास अस्फटिक । फास अस्फटिक अन्यान विली। न्यान अन्मोद स्वरूप सुभाव न्यान प्रियो । न्यान इस्ट। न्यान कमल । न्यान रमन । श्री अनंत न्यान फटिक सुभाव रमन । आयरन उत्पन्न अस्फटिक सिय सुभाव। फास स्वरूपं सूष्यम अवगाहन। हितमित परिनै कोमल क्रांति सिद्ध सरूव। श्रीन्यान मुक्ति श्री सिद्ध सुभाव । फास आयरन रूव अरूव रूपी विलय । अरूव रूव - रूव विविक्त । अनंत रुचि प्रियो । न्यान रुई प्रियो । न्यान विन्यान रमन । आयरन न्यान सुद्ध सुकीय सुभाव । दिस्टि आयरन उत्पन्न औकास अन्मोद विपक अरूवे तदि मुक्ति सौष्य : ४ : ।। अन्मोद न्यान हितकार आयरन । सब्दस्य
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी विसेष (४) सब्दस्य जिन सब्द असब्द न्यान । असब्द गुपित सब्द न्यान उत्पन्न । सब्द न्यान सरूव न्यान विन्यान आयरन । लब्धि, अलब्धि, लब्धि । सुर्य लब्धि । विसेष न्यान विन्यान श्री मुक्ति श्री सुभाव। पुरिस सिद्ध सुभाव अव्वावाह औगाह हितकार रमन आयरन सुद्ध बुद्ध सुभाव। मन विसेष - (४) इस्ट मन । न्यान मन । उत्पन्न मन । न्यानरंज रमन, न्यान रमन मन । न्यान विन्यान रमनस्य । श्री न्यान सुभाव मुक्ति श्री सहकार सिद्ध अर्क उत्पन्न । हितकार विंद विन्यान उत्पन्न । हितकार आगंतु न्यान । हितकार हित न्यान। उत्पन्न हित हंतकार न्यान । उत्पन्न हितकार रंज । जिन रंज रमन । जिननाथ रमन । अचष्य दर्स दर्स न्यान परिनाम । अनंत अलष्य सुरस्य सर उत्पन्न । न्यान रमन विसेष । षिपक विसेष । जान पद विन्यानन्यान रमन । ग्राह अनंत बाधा रहित आयरन तीर्थकर सुभाव॥
जदि तेन्द्रिय सुभाव केन विसेष-मनरंजन गारव सुभाव । जनरंजन सुभाव । तदि सुभाव मान रमन सुभाव । कलरंजन सुभाव । कषाय मल सुभाव । पर्जाव दिस्टि सुभाव । पर्जाव इस्टि सुभाव । दर्स अदर्स अंध सूष्यम सुभाव न दिस्टंति। मिथ्यात सुभाव प्रकृति राग प्रकृति दोष तेन्द्रिय उत्पन्न । तेन्द्रिय सुभाव । तेन्द्रिय मिलन । तेन्द्रिय रमन । तेन्द्रिय रंज । तेन्द्रिय आनंद । तेन्द्रिय वास । तेन्द्रिय उक्त । तेन्द्रिय वयन । तेन्द्रिय दिस्टि । तेन्द्रिय इस्टि। तेन्द्रिय गम्य । तेन्द्रिय अगम्य । तेन्द्रिय सुभाव । तेन्द्रिय आहार । तेन्द्रिय ठिदि । तेन्द्रिय चलन । तेन्द्रिय बलन । तेन्द्रिय निद्रा । तेन्द्रिय आसन । तेन्द्रिय सुर सब्द । तेन्द्रिय अदिस्ट सुर सब्द। तेन्द्रिय गुपित सर । तेन्द्रिय उत्पन्न सर । तेन्द्रिय कमल सर । तेन्द्रिय आयरन । तेन्द्रिय अचष्य । तेन्द्रिय चष्य । तेन्द्रिय गुपित । तेन्द्रिय मन।