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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री चौबीस ठाणा जी
अर्कन दिस्यते नर्क। जे जीव अर्क अनंत सुभाइ सुद्ध दिस्टि एको उद्देसन दिस्यते ते प्रथम नर्क। नर्क अस्तिति आयुगलन तुच्छु रहै, भुक्तस्य दिस्टि आयु छिनि मनुष्य गति । अर्क सुभाव ग्रहनं अनंत विसेष नाना प्रकार न्यान विसेष सुद्ध सद्भाव निरूपनं ॥ अर्क सुभाव
दर्स, अदर्स, दर्स - उत्पन्न अर्क। दर्स सर्व परिनाम - उत्पन्न अर्क। दर्स कमल सुभाव - उत्पन्न अर्क। दर्स कमल कंद अग्र - उत्पन्न अर्क। दर्स गिरा कंद अग्र परिनाम - उत्पन्न अर्क । भय विनस्य परिनाम सुभाव - उत्पन्न अर्क । दर्स अंगदि अंग सर्वन्य परिनाम सुभाव - उत्पन्न अर्क। दर्स कमल कलन न्यान विन्यान परिनाम - उत्पन्न अर्क। न योग दर्स - उत्पन्न अर्क। इस्टि परमिस्टि- उत्पन्न अर्क। अवधि लै - उत्पन्न अर्क । अन्यान अन्मोद उत्पन्न षिपक अर्क । अन्यान विरोध दिस्टि विलयंति - उत्पन्न अर्क । न्यानेन न्यान अन्मोद रमन - कम्म विलयं गतः ।। उत्पन्न मिली, उत्पन्न कम्म विली - उत्पन्न अर्क। सुभाव उत्पन्न, दर्स हितकार, सहकार दिस्टि- उत्पन्न अर्क । मन पर्जय सुभाव उक्त दर्स - उत्पन्न अर्क । लब्धि केवल न्यान विमल अर्क - न्यान अनंत दर्स, अनंत लब्धि - उत्पन्न अर्क । दान, लाभ, लब्धि अनंत - उत्पन्न अर्क। भोग, उपभोग लब्धि मुक्ति - उत्पन्न अर्क। वीर्ज विन्यान, संमिक्त सुभाव, समय सहकार, समय बाधा रहित सहकार - उत्पन्न अर्क । राग जनरंजन विली - उत्पन्न अर्क । कलरंजन दोस विली- उत्पन्न अर्क। मनरंजन गारव विली - उत्पन्न अर्क। दर्सन मोहांध विली- उत्पन्न अर्क। न्यान आवर्न विली- उत्पन्न अर्क। दर्सन आवर्न विली- उत्पन्न अर्क।
मोहन आवर्न विली- उत्पन्न अर्क। न्यान अंतर विली - उत्पन्न अर्क। आसा, स्नेह, लाज, लोभ, भय, गारव, आलस, प्रपंच, विभ्रम विलयं गत:- उत्पन्न अर्क। मिथ्या कषाय मल दोस विली- उत्पन्न अर्क। भय, सल्य, संक विलयंति - उत्पन्न अर्क। दर्स अनन्त सदर्स सुभाव - उत्पन्न
अर्क। अनंत सुभाव दर्स नित अन्मोद न्यान - उत्पन्न अर्क । अनंत दर्स विसेष नित अन्मोद न्यान - उत्पन्न अर्क । लष्य अलष्य लष्य अन्मोद न्यान - उत्पन्न अर्क। जावत् अनंत परिनाम नित धुव न्यान अन्मोद, तदि अनंत न्यान अन्मोद चरन सुभाव अर्क । दर्सन, न्यान, चरन भेद उत्पन्न अर्क । संमिक दर्सन, लोय, अवलोय संमिक उत्पन्न अर्क। लोकालोक नित धुवन्यान संमिक् उत्पन्न अर्क। लोक नित आचरन चरन न्यान अन्मोद उत्पन्न अर्क । तं संमिक् चरन लोक अवलोक संमिक चरन अनंत दर्स अर्क॥
अनंतानंत दर्स नितंति अनंत न्यान- उत्पन्न अर्क। अनंत जित सुभाव आचरन चरन न्यान अन्मोद अबलबली विषय गली, नंत चरन बीर्ज विन्यान संजुक्त - उत्पन्न अर्क। श्री नंतानंत उत्पन्न, श्री हितकार, श्री सहकार, श्री मुक्ति, श्री समदर्स, श्री संमिक दर्स - उत्पन्न अर्क। श्री सम नित धुव रमन न्यान जिननाथ अन्मोद न्यान - उत्पन्न अर्क । श्री संमत्त चरन चरियं गुपित न्यान अन्मोद अबल चरन श्री संमिक चरन नंतानंत चतुस्टय सहित - उत्पन्न अर्क । विमल केवल न्यान विमल सभाव अर्क। श्री मुक्ति, श्री अन्मोद न्यान, श्री सुभाव मुक्ति, श्री अर्थ तिअर्थ, श्री अन्मोद न्यान तीर्थंकर भवति । तिअर्थ आयरन तीर्थकर मुक्ति प्रवेस सिद्ध तीर्थकर अर्क सुभावेन न्यान विन्यान सुद्ध अर्क, सुर्य षिपक भाव
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