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* तत्व मंगल *
देव को नमस्कार तत्वं च नंद आनंद मउ, चेयननंद सहाउ । परम तत्व पद विंद पउ, नमियो सिद्ध सुभाउ ॥
गुरू को नमस्कार गुरू उवएसिउगुपित रूइ, गुपित न्यान सहकार। तारण तरण समर्थ मुनि, गुरू संसार निवार ॥
धर्म को नमस्कार धम्मु जु उत्तउजिनवरहि, अर्थति अर्थह जोउ। भय विनास भवुजु मुनह, ममलन्यान परलोउ।
देव को, गुरू को, धर्म को नमस्कार।
* मंगलाचरण * चेतना लक्षणं आनंद कन्दनं, वन्दनं वन्दनं वन्दनं वन्दनं ।।
शुद्धातम हो सिद्ध स्वरूपी।
ज्ञान दर्शनमयी हो अरूपी ॥ शुद्ध ज्ञानं मयं चेयानंदनं, वन्दनं वन्दनं वन्दनं वन्दनं ||१||
द्रव्य नो भाव कर्मों से न्यारे।
मात्र ज्ञायक हो इष्ट हमारे ॥ सुसमय चिन्मयं निर्मलानंदनं, वन्दनं वन्दनं वन्दनं वन्दनं ।।२।।
पंच परमेष्ठी तुमको ही ध्याते।
तुम ही तारण-तरण हो कहाते॥ शाश्वतं जिनवरं ब्रम्हानंदनं, वन्दनं वन्दनं वन्दनं वन्दनं ।।३।।
*आत्म-आराधन* मैं हूँ शुद्धात्मा, मैं हूँ शुद्धात्मा ।
मैं हूँ परमात्मा, मैं हूँ परमात्मा ॥ १. मेरा कोई नहीं जग में, भाई बाप माँ।
मैं हूँ अरस अरूपी ऐ शुद्धात्मा ।।... २. धन शरीर परिवार, यह कोई मेरे ना।
मैं हूँ एक अखंड धुव शुद्धात्मा ।।... ३. मन वचन कर्म यह भी, कोई मेरे ना। ___ मैं हूँ अलख निरंजन ऐ शुद्धात्मा ॥... ४. मेरा पर से कोई भी है सम्बंध ना। ___ मैं हूँ चैतन्य लक्षण ऐ शुद्धात्मा ।।... ५. पर का कर्ता धर्ता है बहिरात्मा ।
ज्ञानानंद स्वभावी में शुद्धात्मा ।।... ६. रहूँ अपने में बन जाऊं सिद्धात्मा।
ब्रम्हानंद मगन मैं हूँ शुद्धात्मा ।।...
ॐ नम: सिद्धं, ॐ नम: सिद्धं, ॐ नम: सिद्ध, देवदेवं नमस्कृतं, लोकालोक प्रकाशकं । त्रिलोकं भुवनार्थं ज्योतिः, उर्वकारं च विन्दते ॥ अज्ञान तिमिरान्धानां, ज्ञानांजन श्लाकया। चक्षुरून्मीलितं येन, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ श्री परम गुरवे नमः, परम्पराचार्येभ्यो नमः ।।
भगवान महावीर स्वामी की जय ॥
जिनवाणी मातेश्वरी की जय ॥ श्री गुरू तारण तरण मण्डलाचार्य महाराज की जय ॥
10
1983