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________________ प्रथमोन्मेषः २७ आनन्दित करती है ( इस प्रकार इस पद्य में भी परस्पर शब्द और अर्थ के साहित्य का स्वरूप स्पष्ट किया गया है । ) द्विवचनेनात्र वाच्यवाचकजातिद्वित्वमभिधीयते । व्यक्तिद्वित्वाभिधाने पुनरेकपदव्यवस्थितयोरपि काव्यप्वं स्यादित्याह-बन्धे व्यवस्थितौ । बन्धो वाक्यविन्यासः तत्र व्यवस्थितो विशेषेण लावण्यादिगुणालंकारशोभिना संनिवेशेत कृतावस्थानौ। सहितावित्यत्रापि यथायुक्ति स्व. जातीयापेक्षया शब्दस्य शब्दान्तरेण वाच्यस्य वाच्यान्तरेण च साहित्यं परस्परस्पर्धित्वलक्षणमेव विवक्षितम् । अन्यथा तद्विदाह्लादकारित्वहानिः प्रसन्येत । यहाँ ( शब्दार्थों सहितो॥ कारिका में 'शब्दार्थों' आदि पदों में ) द्विवचन के प्रयोग से अर्थ और शब्द के जातिगत द्वित्व का अभिधान किया गया है ( व्यक्तिगत द्वित्व का नहीं अर्थात् एक ही शब्द और अर्थ का ही नहीं अपितु वाक्य में प्रयुक्त अनेक शब्दों और अर्थों का सहभाव होना चाहिए क्योंकि ) व्यक्ति के द्वित्व का अभिधान करने पर एक पद में भी व्यवस्थित शब्द और अर्थ का काव्यत्व होने लनेगा। इसीलिए कहा है-'बन्ध में व्यवस्थित ( शब्द और अर्थ । बन्ध अर्थात् वाक्य की विशेष प्रकार की रचना, उसमें व्यवस्थित । विशेष अर्थात् लावण्यादि सुणों एवं अलङ्कारों से शोभित होनेवाली रचना के द्वारा स्थित । 'सहितो इस पद में भी उक्त युक्ति के अनुसार स्वजातीय (शब्द ) की अपेक्षा अर्थ शब्द का दूसरे शब्द से तथा (स्वजातीय अर्थ की अपेक्षा ) अर्थ के साथ परस्पर स्पर्धा से युक्त स्वरूप वाला ही साहित्य ( सहभाव ) बताना अभीष्ट है। नहीं तो ( उक्त प्रकार के शब्द के शब्दान्तर एवं अर्थ के अर्थान्तर के साथ परस्पर स्पर्धा से युक्त साहित्य के अभाव में उस काव्य द्वारा ) काव्यमर्मज्ञों की आह्लादकारिता की हानि होने लगेगी। यथा असारं संसारं परिमुषितरत्नं “ त्रिभुवनं निरालोकं लोकं मरणशरणं बान्धवजनम् । अदप कन्दपं जननयननिर्माणमफलं जगज्जीर्णारण्यं कथमसि विधातुं व्यवसितः ॥ २१ ॥ जैसे-( महाकवि भवभूति विरचित 'मालतीमाधव' नामक प्रकरण में कापालिक को मालती का वध करने के लिए उद्यत देख माधव उस कापालिक से कहता है कि इस मालती के वध से तुम इस ) संसार को सारहीन, तीनों
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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