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वक्रोक्तिजीवितम्
अर्थात् अलङ्कारवेत्ताओं ने उसे अप्रस्तुतप्रशंसा इस नाम का अलङ्कार कहा है । किस प्रकार की ( यह अप्रस्तुतप्रशंसा अलङ्कृति है ) - जहाँ अर्थात् जिस ( अलङ्कार ) में अप्रस्तुत अर्थात् कहने के लिए नहीं भी अभिप्रेत पदार्थ वर्णनीयता को प्राप्त हो जाता है अर्थात् वर्णन का विषय बनाया है। क्या करता हुआप्रस्तुत अर्थात् कहने के लिये अभिप्रेत पदार्थ की विच्छित्ति अर्थात् सौन्दर्य को अवतीर्ण करता हुआ सनुलसित करता हुआ ( अप्रस्तुत पदार्थ वर्णन का विषय बनाया जाता है ) ।
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द्विविधो हि प्रस्तुतः पदार्थः सम्भवति - वाक्यान्तर्भूत पदमात्रसिद्धः सकलवाक्यव्यापककार्यो विविधस्वपरिस्पन्दातिशयविशिष्टप्राधान्येन वर्तमानश्च । तदुभयरूपमपि प्रस्तुतं प्रतीयमानतया चेतसि विधाय पदार्थान्तरमप्रस्तुतं तद्विच्छित्तिसम्पत्तये वर्णनीयतामस्यामलङ्कृतौ कवयः प्रापयन्ति । किं कृत्वा - तत्साम्यमाश्रित्य । तदनन्तरोक्तं रूपकालङ्कारोपकारि साम्यं समत्वं निमित्तीकृत्य । सम्बन्धान्तरमेव वा निमित्तभावादि संश्रित्य । वाक्यार्थोऽसत्यभूतो वा - परस्परान्वयपदसमुदाय लक्षणवाक्यकार्यभूतः । साम्यं सम्बन्धान्तरं वा समाश्रित्याप्रस्तुतं प्रस्तुतशोभायै वर्णनीयतां यत्र नयन्तीति ।
प्रस्तुत पदार्थ दो प्रकार का सम्भव होता है - (एक तो ) वाक्य में अन्तर्भूत ( विद्यमान ) केवल एक पद से ही सिद्ध हो जाने वाला होता है ( तथा दूसरा वह है ) जिसका कार्य सम्पूर्ण वाक्य में व्यापक रहता है तथा अपने नाना प्रकार के स्वभावोत्कर्ष से विशिष्ठ प्रधानता के साथ विद्यमान रहता है। इस प्रकार इस अलङ्कार में कविजन दोनों प्रकार के उस प्रस्तुत पदार्थ को गम्यमान रूप में अपने हृदय में रख कर, उसके सौन्दर्य की समृद्धि के लिए दूसरे अप्रस्तुत पदार्थ को बर्णन का विषय बनाते हैं। क्या करके ( कविजन अप्रस्तुत को वर्णन का विषय बनाते हैं ) उस साम्य का आश्रय ग्रहण कर । उस से तात्पर्य है अभी प्रतिपादित किए गये रूपक अलङ्कार का उपकार करने वाले साम्य अर्थात् समानता से, उसको निमित्त बनाकर अथवा दूसरे सम्बन्ध अर्थात् निर्मित ( नैमित्तिक ) भाव आदि का आश्रयण कर ( अप्रस्तुत पदार्थ को कविजन वर्णन का विषय बनाते हैं ) । अथवा असत्य भूत, वाक्यार्थ अर्थात् परस्पर अन्वय वाले पदों के समुदाय स्वरूप वाक्य का कार्यभूत ( वर्णन का विषय बनाया जाता है) । साम्य अथवा दूसरे सम्बन्ध का आश्रयण करके अप्रस्तुत को वहाँ पर वर्णन का विषय बनाते हैं ।
प्रस्तुत की शोभा के लिए