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________________ २०८ वक्रोक्तिजीवितम् नियन्त्रण हो जाता है। वह दूसरा चाण्डाल रूप अर्थ नहीं दे सकती। इसी लिए कहा गया है कि 'मातङ्ग' शब्द यहाँ केवल प्रस्तुत हाथो का ही बोध कराता है। २. शिष्ट वृत्ति के द्वारा चाण्डाल रूप अप्रस्तुत वस्तु की प्रतीति कराता हुआ। यहाँ आचार्य विश्वेश्वर जी ने डॉ० डे के पाठ को अशुद्ध बताते हुए "शिष्टया' के स्थान पर 'श्लिष्टया' पाठ को समीचीन बताया है। वस्तुतः वह भ्रांति है। क्योंकि ( १ ) 'श्लिष्टा' नाम की कोई वृत्ति नहीं होती। (२) 'गौर्वाहीकः' में श्लिष्टता का लेश भी नहीं है । क्योंकि गौर्वाहीकः श्लिष्टता का उदाहरण नहीं अपितु सादृश्यमूला लक्षणा का उदाहरण है । यहाँ ग्रन्थकार ने जो ‘गौर्वाहीक:' न्याय को प्रस्तुत किया है उससे स्पष्ट है कि वह लक्षणा वृति को स्वीकार करते हैं। लक्षणा का क्षेत्र अभिधा के बाद आता है। इस प्रकार उक्त उदाहरण में 'मातङ्ग' का 'हाथी' रूप अर्थ देकर अभिधा तो कृतार्थ हो जाती है । वह दूसरा अर्थ दे नहीं सकती। __ अतः शेष बचती है लक्षणा वृत्ति । इसी के लिये ग्रन्थकार ने 'शिष्टया वृत्त्या' कहा है। लक्षणा का लक्षण 'काव्यप्रकाश' में दिया गया है- 'मुख्यार्थबाधे तद्योगे रूढितोऽथ प्रयोजनात् । अन्योऽर्थो लक्ष्यते यत् सा लक्षणारोपिता क्रिया ॥" २१९ ।। अर्थात् मुख्यार्थ का बाध होने पर, उस ( मुख्यार्थ ) के साथ सम्बन्ध होने पर रूढि अथवा प्रयोजन के कारण जिसके द्वारा अन्य अर्थ लक्षित होता है वह आरोपित व्यापार लक्षणा. कहा जाता है। वह लक्ष्यार्थ का अभिधेयार्थ के साथ सम्बन्ध ४ प्रकार का होता है जैसा कहा गया है-- अभिधेयेन सामीप्यात् सारूप्यात् समवायतः । वपरीत्यात् क्रियायोगाल्लक्षणा पञ्चधा मता ।। ग्रन्थकार ने यहाँ गौर्वाहीक: के न्याय को प्रस्तुत किया है। गौर्वाहीक: का सिद्धान्त मम्मट के शब्दों में इस प्रकार है १. अत्र हि स्वार्थसहचारिणो गुणा जाड्यमान्द्यादयो लक्ष्यमाणा अपि गोशब्दस्य परार्थाभिधाने प्रवृत्तिनिमित्तत्वमुपयान्ति इति केचित् । २. स्वार्थसहचारिगुणाभेदेन परार्थगता गुणा एव लक्ष्यन्ते न परार्थोभिधीयते इत्यन्ये । ३. साधारणगुणाश्रयत्वेन परार्थ एव लक्ष्यते इत्यपरे । तीसरा सिद्धान्त ही मम्मट को मान्य है।
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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