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* तारण-वाणी. पणविवि बधाओ-गाथा [११३४ से ११४६] तक पन पनविवि-परम जिनेन्द्र सउत्तउ, परम तत्तु पद विन्द मउ । परम देऊ परमक्ख सउत्तउ, परम रमन तं परम जिनु ॥१॥ ऐ परम जिनेन्दह परम सउत्तो, ममल दिस्टि तं न्यान मऊ । न्याग विन्यानह समय सहाओ, चन्दनु समयह विनय मऊ ॥२॥ ऐ समय सउत्तऊ सिद्ध सहाओ, सिद्धह शुद्ध सु-समय पऊ । सिद्ध सरूवै सुयं सु रमियो, चन्दनु जिन उत्तु विन्यान मऊ ॥३॥ सिद्धह सिद्ध सरून सु रमने, सिद्ध सउत्तउ ममल पऊ । ममल उब एसिउ मूपिम सहियो, चन्दनु सूपिम उव लषियो ॥४॥ सूपम सहियो न्यान विन्यान मौ, कमल रमन तं परम पऊ । कमलह रमने रयन सरूवे, चन्दनु रमियो जिन समए ॥५॥ जिन समय सुलंकृत सिद्ध सहावे, हित मित परिनै परिनमऊ । कोमल सहियो हिय उवयारह, चन्दनु हियई ममल पऊ ॥६॥ विन्यान विंद तं समय संजुक्तु, मय मूत्तिं तं मुक्ति पऊ । मुक्तिहि मुक्ति सुभाऊ सहज रुई, चन्दनु सहजहि विनयमऊ ॥७॥ ऐनन्तानन्त सु सुद्ध परम जिनु, नन्त विशेष सु दिस्टि मऊ । न्यान विन्यानह सुयं सुरमने, रमियो सिद्धह मुक्ति पऊ ॥८॥ जिनवर उचो रयन ममल पऊ, परिने उवन सुमल रहियो । कम्म जु विलियो मुक्ति जिनेन्दह, चन्दनु समय सु मुक्ति पऊ ॥९॥ परमाणुय उत्तउ परम जिनेन्दह, समय सु सहियो जिनय पऊ । तं साहिय समयह लोय अलोयनि, सूक्षम सहियो मुक्ति पऊ ॥१०॥ सुज्यम परणामह सुयं मु गलियो, कम्मु विलय अवयास पऊ । अवयासह नन्तानन्त ममल पऊ, चन्दनु ममल सु विनय मऊ ॥११॥ अन्मोय न्यान विन्यान सुसहियो, पिपक दिस्टि तं पिपक पऊ । पिपक दिस्टि तं पिपक ममल पौ, मुक्ति दिस्टि तं मुक्ति पऊ ॥१२॥ मुक्ति इष्ट तं सिद्ध सहज रुइ-नन्तानन्त सु सुषिमऊ । जिन सुद्ध परम जिनु परम सहववि-चन्दनु परम सु विनय मऊ ॥१३॥