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देवभइसरिविरइओ
पश्चनमस्कारे श्रीदेवनृपकथानकम्।
कहारयणकोसो॥ सामन्नगुपाहिगारो
॥ अहम् ॥
ABORRORISecorr कयसम्मत्तथिरत्तो जइ वि नरो तह वि वंछियं वत्थु । पंचनमोकारे चिय भत्तिपरो पावए परमं ॥१॥ अरहंता सिद्धा सूरिणो य उज्झाय-साहुणो चेव । परमिट्ठिणो हु एते एयन्त्रमणं नमोकारो
॥ २ ॥ एत्तो चिय एयाणं कीरंतो सायरं नमोकारो । एसो समग्गकल्लाणकारणं जायह जियाण एकेक्कमक्खरं पि हु पंचनमोकारसन्तियं जीवो । बहु-बहुतर-बहुतमपावखयबसा लहइ भावेण
॥४ ॥ सूरो इव तिमिरभरं पणइ चिंतामणि ब दोगचं । चिंतियमित्तो य इमो भयवग्गं नासइ समग्गं ॥५ ।। तहाहिनाभिद्दवई दवो तं दूमइ न मयाहियो सुकुद्धो वि । सप्पो वि नाभिसप्पइ न वि चंपइ मतपीलू वि ॥६॥ सत्तू वि तं न चाहइ न विराहइ भूय-साइणिगणो बि । चोरेइ तकरो न वि न कमइ तं वारिपूरो वि ॥७॥ अहवा किमित्तिएणं? इह-परलोए सर्वछियं लहइ । जस्स मणे नवकारो सिरिदेवो एत्थुदाहरणं ॥८॥ तहाहि
नीसेसदेससविसेसपायडे जणवयम्मि पंचाले । कंपिल्लमस्थि नयरं [नियरं]मयरंजियजणोहं ॥९॥ गेहाई बहुधणाई धणं पि सुवियड्डवड्डियाणंदं । सुचियड्ढा वि हु जिणहरकयजत्ता-ण्हवण-पूयमहा ॥ १० ॥ १ 'नवकार' इति नाम्ना प्रसिद्ध पचनमस्कारसूत्रे ॥ २ उपाध्याय- ॥ ३ वक्खय प्रती ॥ ४ इववो प्रती । दावानलः ॥ ५ मत्तहस्ती ॥ ६ स्ववान्छितम् ॥ ७ तस्स प्रती ॥ ८ प्रकटे-प्रसिद्ध ॥ ९ निजरम्यतारजितजनौघम् ।। १० यजिणो' प्रती ।। ११ सुविदग्धवर्षितानन्दम् ॥
॥५५॥
पञ्जनमस्कारस्वरूप तन्माहात्म्य
SARKARRCAKACA CLAREECCESSAGAR
॥५५॥
AKAASARARIAXARKARREAKERARAMRIKAR
जिणगेहाणि वि मुणिजणकीरंतमहत्थसत्थकहणाई । सत्थाणि वि पसमरसुंब्भडाइं जम्मि विरायति ॥११॥ हारेसु नोयगाणं तरलत्तं कुडिलया य केसाण | कसिणमुहत्तं सिहिगाण न उण लोयाण जत्थ पुरे ॥ १२ ॥
___ तत्थ रिउँचकविक्कमणचिहणिउकडतिविकमुक्करिसो। सिरिहरिसोआसि निवो धणवरिसो तॉयजणाण।।१३।। सयलंतेउरतिलओवमाए देवीए कमलसेणाए । जाओ पुत्तो सुस्सुमिणपिसुणिओ तस्स नरवइणो ॥१४॥
दिञ्जमाणधणतुद्वमग्गणं, नचमाणपुरजामिणीगणं । मुकचारगनिबद्धमाण, पूरया]मर-मुगुंद-दाणवं।। १५ ॥ संतिकम्मवाउलपुरोहियं, कीरमाणबहुरक्खसोहियं । गिदुवारभुवि दिन्नसस्थियं, रायलोयपडिपुनपत्थियं ॥ १६ ॥ चारुवेसभड-वंठवट्ठियं, नाइ निव्वुइनिहाणमुट्ठियं । सबलच्छिकलियं व सुंदरं, गेय-तूररवपूरियंवरं ॥१७॥
__ इय तजम्मणपडिबंधबंधुरं पउरहरिसवद्धणय । [वद्धावणयं ] सवायरेण कारावियं रबा ॥१८॥ ठवियमुचियम्मि समए सिरिदेवो नाम तस्स तत्तो सो । सयलं कलाकलावं गहाविओऽकालपरिहीणं ॥ १९ ॥ ठविउं जुवरायपयम्मि तं च राया महाविमद्देण । चउरंगवलसणाहो निक्खंतो विजयजत्ताए ॥ २०॥ सोवीर-कोसल-कुसह-कासि-बंगालपमुहनरनाहे । आणानिद्देसम्मि ठाबिंतो भग्गदुग्गपहो ॥ २१ ॥ पत्तो स कमेणं कामरूयदेसस्स सीमसंधीए । तम्महिनाहो य तए भणाविओ यवयणेण ॥ २२ ॥ १ सुभडाई जम्मि प्रती ॥ २ हारमध्यस्थितमणीनाम् ॥ ३ 'मुडुत्तं प्रती ॥ ४ स्तनानाम् ॥ ५ रिपुचक्रविक्रमणविहतोत्कटत्रिविक्रमोस्कर्षः ॥ ६ आस प्रती ॥ ७ स्वजनजनानाम् ॥ ८ "सुणओ प्रती। पिशुनिल:-भूचितः ।। ९ मुगुं प्रतौ ॥ १० धुरप प्रती ॥ ११ वर्धापनकम् ॥
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