________________
१६
करवामां आव्यां छे, ते अवतरणो पासे कोष्ठकमां टिप्पणीना अंको पण मूकवामां आव्या छे. (आ प्रत्येक अवतरणोनां टीकाकारे नहिं दर्शावेलां मूळ स्थानो मळ्यां त्यां सुधी शोधी शोधीने मूकेला छे. जे मूळ स्थानो मळी शक्यां नथी ते अवतरणो पासे ग्रंथमां खाली [ ] आवं निशान मूकेलं छे.
६. परिशिष्ट छट्ठामा टीकाकारे नोंधेला ग्रंथकारो अने ग्रंथोनां नामोनो उल्लेख छे. ७. सातमा परिशिष्टमां टीकाकारे चर्चेला वादो अने वादीओनां नामोनो निर्देश छे.
८. परिशिष्ट आठमामां दर्शनशास्त्र अने खास तो जैनदर्शनने लगता अने टीकाकारे निर्देशेला विशिष्ट शब्दोनो कोश ग्रंथना पृष्ठांक साथे आपवामां आव्यो छे. जे शब्दो उपर खास टिप्पणो करवामां आव्यां छे ते शब्दोनी पासे कोष्ठकमां टिप्पणीना अंको पण जणाव वामां आव्या छे.
९. नवमा परिशिष्टमां समग्र ग्रंथमा टीकामां वपरायेला देशसूचक, स्थळसूचक, आचाररूढिसूचक, वस्तुसंज्ञासूचक अने ग्रन्थान्तर विषय वगेरेना सूचक एवा खास ऐतिहासिक विशिष्ट शब्दोने प्रष्टना अने पंक्तिना अंको साथे मूकवामां आव्या छे. अने जे शब्दो उपर टिप्पणो करेलां छे तेओ पासे कोष्ठकमां टिप्पणीना अंको पण आपेला छे.
१०. टीकाकारे जेनां स्थळोनो निर्देश नथी कर्यो एवां अवतरणोनां अमोए शोधेला स्थळोनां नामोनो आ दशमा परिशिष्टमां निर्देश छे.
११. परिशिष्ट अगीआरमामा प्रतिओमां मळी आवेलां टिप्पणोनो ते ते प्रतिना नाम साथे अने अमे करेलां टिप्पणोनो ग्रंथ-पृष्ठ अने टिप्पणना अंक साथे संग्रह करेलो छे.
१२. परिशिष्ट बारमामां संपादन माटे एटले विवेचन, तुलना, टिप्पण के अवतरण वगेरे माटे संपादकोए निर्देशेला ग्रंथकारो अने ग्रंथोनां नामोनो ग्रंथना पृष्ठ अने टिप्पणना अंक साथे निर्देश करेलो छे.
१३. परिशिष्ट तेरमामा संपादनने अंगे वपरायेला ग्रंथमात्रनां मुद्रण स्थान, संपादक अने मुद्रणसमय वगेरेनो उल्लेख छे.
श्रीमान् प्रवर्तक कान्तिविजयजीना शिष्य श्रीमान् चतुरविजयजी अने पुण्यविजयजीना आभारनो उल्लेख अमे प्रत्येक भागमां करता आव्या छीए, पण आ भागमां तो अमारा उपर एमनु ऋण निःसीम छे, एम कहेवामां कांई उपचार करवा जेवू नथी. कारण के आ भागमां आपेलां बधां परिशिष्टोनां तथा छद्रा भागमां आवनार गुजराती अनुवाद अने प्रस्तावनानां बधां प्रफो तेमणे घणी काळजीथी तपासी आपवानी कृपा करी छे. जो तेमनी आ कृपानो लाभ अमे न मेळवी शक्या होत तो अमारी शारीरिक अगवडोने लीधे आ भाग कोण जाणे क्यारे बहार पडत अने समग्र ग्रंथ प्रकाशमां पण क्यारे आवत ए कही शकात नहि. आ साथे जैनसाहित्यप्रेमी श्रीकेशवलालभाई प्रेमचंद मोदीना पण अमे कृतज्ञ छीए, जेमना तरफथी आ प्रवृत्तिने अंगे अनेक वार उपयोगी सहायता अमे मेळवेली छे. परिशिष्टना विधानमा खास सहायक एवा सहृदय विद्वान् मित्र श्रीमान् रसिकलाल भाईनो आभार पण भूली शकाय तेम नथी.
सुखलाल
अने
बेचरदास.