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________________ १३ हवे प्रस्तुत भागमां आवेल ग्रंथना संशोधननी बाबत लइए. ए बाबतो मुख्य त्रण छे. (१) प्रतिओ संबंधी, (२) पाठान्तरो संबंधी अने ( ३ ) ग्रंथान्तरोना उपयोग संबंधी. अने वच्चे घणे स्थले ए बन्ने ताड ( १ ) पहेला अने बीजा भागना संशोधन कार्यमां जे प्रतिओनो उपयोग थयेलो छे ते प्रतिओ उपरांत बीजी बे विशिष्ट प्रतिओए आ त्रीजा भागना संशोधनकार्यने बहु सरल अने महत्त्वनुं बनाव्युं छे. एबे विशिष्ट प्रतिओ ते ताडपत्रनी छे. बेमां एक ताडपत्र लांबा आकारनुं अने बीजुं टुंकुं छे. ताडपत्रनी बन्ने प्रतिओ शुद्धप्राय अने कचित् कचित् टिप्पणीयुक्त छे. आ बृहत् अने लघु बन्ने ताडपत्रोमां सटीक संमतिनुं उत्तरार्द्ध छे. कारण के तेना नंबरो प्रथमथी शरु थइ अनुक्रमे वधता जाय छे. आ बन्ने प्रतिओना पूर्वार्द्धवाळा खंडो जेमां पहेली गाथाथी छट्ठी गाथानी काना लगभग अर्धीश सुधीनुं पूर्वार्द्ध हशे ते हजी प्राप्त थया नथी. जो ए बन्ने पूर्वार्द्धना खंडो विनाशना पंजामांथी बची कोइ पण स्थले सचवाइ रही गया हशे अने क्यारेक कोइने पण सद्भाग्ये मळी आवशे तो आ उत्तरार्द्धवाळा खंडोनी पेठे ते खंडो पण अशुद्ध रही गयेल टीकाने शुद्ध करवामां अमूल्य मदद आपशे. केवल पांचमी गाथानी टीका पूरतो पण ताडपत्रनो भाग मळ्यो होत तो कदाच एनी आटली जटिल अशुद्धिओ रही न होत. उत्तरार्द्धना जे वे भागो सद्भाग्ये प्राप्त थया छे तेमां बृहत् ताडपत्रमां उत्तरार्द्ध पूर्ण छे एटले प्रथम कांडनी छट्टी गाथानी टीकाना मध्यभागथी लइ प्रथम कांड पूर्ण अने द्वितीय तथा तृतीय कांड पण पूर्ण छे. ए बृहत् ताडपत्रना कुल ३३४ पानां छे. ज्यारे लघु ताडपत्र उपर उत्तरार्द्ध पण पूर्ण नथी. एनुं प्रथम पत्र नथी अने छेल्लं पत्र १८७ मुं छे. तेटला पत्रोमां बीजुं कांड पण अपूर्ण छे पत्रो गुम थयां छे तेमज घणे स्थले लींटीओनी लींटीओ घसाइ भुंसाइ गयेली छे. पत्रना सुंदर अक्षरोए, शुद्ध पाठोए अने महत्त्वनी टिप्पणीओए प्रस्तुत भागना संशोधनमां जे मदद आपी छे तेने लीघे पांचमी गाथानी टीकामां रही गयेल अशुद्धिओनी त्रुटि जरा ओछी खटके छे. कागळनी अन्य प्रतिओनी पेठे आ ताडपत्रनी प्रतिओनी पण विशेष माहिती भविष्यभां आपवानी धारणा होवाथी अत्यारे एटलुं ज सूचववुं बस थशे के, आ वे ताडपत्रना खंडोने लीधे प्रस्तुत त्रीजा भागना संशोधनने वधारे महत्त्व मळ्युं छे अने हवे पछी प्रसिद्ध थनार बीजा कांडनो चोथो भाग अने त्रीजा कांडनो पांचमो भाग पण आ खंडोने लीधे ज वधारे महत्त्व प्राप्त करशे. परन्तु जेम एक बाजु उपलब्ध ताडपत्रना खंडो सगवडमां उमेरो करे छे तेम बीजी बाजु बा० अने बा० प्रतिनो थोडो खंडित भाग संशोधनकार्यमां साले छे. वा० बा० बन्ने प्रतिओ वधारेमां वधारे अशुद्ध छतां क्वचित् क्वचित् अन्य बधी प्रतिओ करतां वधारेमां वधारे शुद्ध छे. ए बने समान प्रतिओना पांचमी गाथानी टीकाना अंतवाळां अने छट्ठी गाथानी टीकाना आरंभवाळां केटलांक पानां उपलब्ध न होवाथी एनुं खंडितपणुं खास साले छे. जो ए वे प्रतिओनां एटलां पानां क्यारेक उपलब्ध थाय तो ते ते स्थळनी अशुद्धिने अल्पांशे दूर करवामां तेनो किंमती उपयोग थइ शकशे. (२) प्रस्तुत भागना संशोधनमां पाठान्तरनुं कार्य प्रथमना बे भागो करतां कांइक जुदुं पडतुं थयेलं छे. प्रथमना बे भागोना संशोधन वखते पाठान्तरो लीधा पछी तेमांथी पसंदगी करवानो अने छोडी देवानो क्रम सामान्य रीते एक सरखो राखवामां आव्यो हतो. ज्यारे प्रस्तुत भागमां ए क्रम जाणी जोइने ज एक सरखो राख्यो नथी. प्रस्तुत भागमां पांचमी गाथानी टीका अशुद्धिबहुल छे अने छट्ठी तथा खास करी सातमी आदि बधी गाथाओनी टीका वधारे शुद्ध छे. तेथी यां ज्यां जटिल अशुद्धिओ जणाइ त्यां त्यां प्रतिओमांथी मळेला तद्दन खोटा जणावा पाठान्तरो पण
SR No.009696
Book TitleSanmatitarka Prakaranam Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size242 MB
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