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जो के टीकामां सेंकडो दार्शनिक ग्रंथोनुं दोहन जणाय छे, छनां सामान्य गते मीमांसक कुमारिलभट्टनुं श्लोकवार्तिक, नालन्दा विश्वविद्यालयना आचार्य शांतिरक्षितकृत तत्वमंग्रह उपरनी कमलशीलकृत पंजिका अने दिगम्बराचार्य प्रभाचंद्रना प्रमेयकमलमातंड अने न्यायकुमुदचंद्रोदय विगेरे प्रन्थोनुं प्रतिविम्ब मुख्यपणे आ टीकामां छे, तेवी रीते वादिदेवसूरिनो स्याद्वादरत्नाकर, मल्लिषेणसूरिनी स्याद्वादमंजरी, उपाध्याय यशोविजयजीनी नयोपदेश उपरनी नयामृततरंगिणी टीका अने शास्त्रवार्तासमुच्चयनी टीका आदि पाछळनी कृतिओमां संमतिनी टीकार्नु प्रतिविम्ब छे; तेथी संमतिना अभ्यासके संमतिटीकामा प्रतिबिम्ब पाडनार अने संमतिटीकार्नु प्रतिबिम्ब झीलनार उपर्युक्त बन्ने प्रकारना ग्रन्थो जोवा घटे.
(ख ) प्रकाशननी योजना मध्यम कालीन दर्शनसाहित्यमा संमति मूळ अने तेनी टीका, ए बन्नेनुं आकर्षक स्थान छे; तेमज टीकामां दार्शनिक साहित्यना इतिहास अने दार्शनिक विद्वानोना इतिहासनी पुष्कळ सामग्री मळी शके तेम छे. आ बधी विशिष्टताने लीधेज आ संस्थाए प्रस्तुत ग्रन्थनी शुद्ध आवृत्ति तैयार करवा विचार करेलो छे.
जोके संमति उपर घणी टीकाओ होवानो उल्लेख छे, छतां एक श्वेताम्बराचार्य मल्लवादिकृत अने वीजी दिगम्बराचार्य सुमतिकृत होवानुं निश्चित प्रमाण मळे छे. पण अत्यारे तो तेमांनी एके उपलब्ध नथी. तेथी अने विस्तृत छतां महत्त्वनी होवाथी अभयदेवनी टीकाज प्रसिद्ध करवान संस्थाए पसंद कयु छे.
प्रस्तुत टीका घणी विस्तृत, गहन अने संस्कृत भाषामां होवाथी, मूळ ग्रंथ टुंको, प्रसन्न अने ग्राह्य छतां साधारण जिज्ञासुओथी पण अपरिचित रह्यो छे, अने दरेक पोताने तेनो अधिकारी मानतां अचकाय छे; खरी हकीकत तेवी नथी. जो संक्षिप्त पण सरल टीका होय, अगर भापामां विवेचक अनुवाद होय तो संमति मूळ कोई पण साधारण अभ्यासिने ग्राह्य थई शके तेवू छे; आ हेतुथी संमतिनो अनुवाद करवानी कल्पना मंदिरे पसंद करी, पण ते अनुवाद कर्या पहेलां तेनुं अने तेनी टीका- संशोधन करी नाखवू, ए पण उचित जणायु. आ कारणथी अत्यारे मंदिरे नीचे प्रमाणे योजना विचारी राखी छे:
सटीक मूळ ग्रंथर्नु त्रण भागमा प्रकाशन करवु; चोथा भागमा मूळ ग्रंथनो अनुवाद, अने समप्र सटीक ग्रंथने लगतां उपयोगी परिशिष्टो, प्रस्तावना, विस्तृत अनुक्रमणिका विगेरे आपवां. आ योजना प्रमाणे आजे अढी वर्ष थयां काम चालतां पहेलो भाग प्रकाशित थाय छे.
प्रुफ जोवाना दृष्टिदोषथी के कंपोझिटरोना दोषर्थी जे भूलो रही गई हशे ते ववी बराबर जोई शुद्धिपत्रमा आपवानुं तो आगळ बनशे, छतां जे जे भूलो अनायासे नजरे पडी गई छे, मात्र तेज शुद्धिपत्रमा आपेली छे; तेथी आ शुद्धिपत्र अधुरुंज छे. अमे अभ्यासिओने विनवीए छीए के तेओ जे नानी मोटी कोई पण भूल जूए, तेनी पृष्ठपतिवार अमने सूचना आपे. अमे तेओनी तेवी सूचनाने साभार प्रकट करशुं.
आ संशोधन कार्यमा उपयोगी थाय ते माटे अनेक हस्तलिखित प्रतिओ हिंदुस्तानना जूदा जूदा भागोमांथी मळी छे. ताडपत्रनी पण खंडित प्रतिओ छे. आ बधी प्रतिओनुं विगनवार वर्णन, तेओनी तुलना विगेरे बाबतो भविष्यनी दीर्घ प्रस्तावनामां ज नोंधाशे. अत्यारे तो ते ते प्रति आप.