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________________ [१०१ रिसिदत्ताचरिए पंचमं पव्वं ॥] गोयं तु होइ दुविहं उच्चं नीच्चं चेव नायव्वं । उच्चं तित्थराईसु , निच्चं चंडालमाइणं ॥८३॥ भोगोवभोग-वीरिय-दाण-लाभे य होइ नायव्वं । पंचविहमंतराय, कम्मेयं अट्ठहा होइ ॥८४॥ एएहिं कम्मेहिं, जीवो संसारवाहियालीए । गिरि-हस्समाणो अवबद्धलक्खो सया भमइ ॥८५॥ नारय-तिरिय-नरा-ऽमर चउरासीजोणिलक्खगहणम्मि । पत्तं व भमइ सुक्कं [कम्माइ] चोइओ संतो ॥८६॥ जह उयहिमज्झपडियं भमइ तरंडं अलद्धलक्खं ति । कम्मजलगरिडी[ ? ] तह भमइ जिव एत्थ संसारे ॥८७॥ मणु-तिरिय-अमर-नारयगईसुऽट्टकम्मेण चोइओ जीवो। भमइ जह जंतवसहो, पुणो वि तत्थेव तत्थेव ॥८८॥ काऊण कूरकम्मं, रोद्दज्झाण-ऽट्टअसुहपरिणामो । नरय-तिरियसु नच्चइ, जीवो अहमासु जाईसु ॥८९॥ तत्थुपण्णो वि पुणो बंधइ असुहाइं चेव कम्माइं। बद्धेहिं जेहिं जीवो, वच्चइ तत्थेव तत्थेव ॥१०॥ आउगई कुणंतो अरहट्टघडिय व्व भयइ तह जीवो। जह नारय-तिरियत्तं पुणो पुणो चेव पावेइ ॥११॥ कम्माणं उवसमेणं, कह......हिं पि जइ वि मणुयत्तं । पावइ भवाडवीए तं पि य अहमासु जाईसु ॥१२॥ तत्थ वि अंधो पंगू, मडहो काणो य वामणो खु[ज्जो] । .....मूओ कुट्ठी लोयाणं निदिओ...होइ ॥१३॥ अह कह वि होइ (स )ज्जो, तह वि न धम्मस्स उग्गहं कुणइ । अह कुणइ धम्मगहणं, तं पि य मिच्छत्तसंवलियं ॥१४॥ 20 D:\amarata.pm5\3rd proof
SR No.009695
Book TitleRushidatta Charitra Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2011
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size2 MB
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