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________________ बीजो भाग त्रण लींटीनो छे अने ते आ प्रमाणे छ:1 ओं श्रीआचार्य कुलचन्द्रस्य तस्य 2 शिष्य खल्ल सुभचन्द्रस्य 3 छात्र विजो भाषान्तर:-श्रीआचार्य कुलचन्द्रना शिष्य खल्ल ( ? ) सुभचंद्रना शिष्य विजो (विद्या अथवा विद्यनी कृति.) ललितन्दु गुहामा उद्योतकेशरिनो बीजो लेख. आ ललितेन्दु अथवा तो सिंहद्वारना नामथी ओळखाती गुहामां आवेलो शिलालेख ई. स. १९१३ मा अॅक्टोबर महिनामा आर्किओं लॉजीकल सर्वेना फोटोग्राफर मी. एस. गंगुलोए प्रथम शोधी काढ्यो हतो. आ लेख गुहानी पाछळनी भींत उपर कोरेलो छे, अने गुहाना भोयतळीयाथी लगभग त्रीश चाळीश फीट उंचे, दिगंबर जैनमूर्तिओना समूह उपर आवेलो छे. एनी बहु सारी संभाळ लेवायली लागती नथी. लेख पांच पंक्तिमा कोतरेलो छे अने लीपी उपरना बे लेखो जेवी ज छे. लेखनी भाषा अशुद्ध संस्कृत छे. ____ मूल लेख. 1 ओं श्रीउद्योतकेशरिविजयराज्य संवत् ५. 2 श्रीकुमारपर्वत (1) स्थाने जीर्णवापि (2) जीर्ण इशाण (3) 3 उद्योतित ( 4 ) तस्मिन् स्थाने चतुर्विशति तीर्थ ङ्कर 4 स्थापित प्रतिष्ठा[का]ले इ[रि] ओप (5) जसनन्दिक 5 का (१) दा (?) ति(१)द्रथा(?)श्रीपार्श्वनाथस्य कर्मखयः टिप्पण. (1) बीजी लाइन उपरथी जणाय छे के खंडगिरिनु प्राचीन नाम ‘कुमार पर्वत' छे. खारवेलनो हाथीगुहालेख उदयगिरिनु "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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