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________________ २. जैनसाहित्यमा जे बे चार पैतिहासिक राजाओना जैन होवा बाबतना जेवा तेवा उल्लेखो मळी आवे छे तेमना शिवाय बीजा पण अनेक आवा प्रतापी राजाओ थइ गया छे के जेमणे जैनधर्मनी उन्नति अने प्रगति करवा माटे विशेष विशेष प्रयत्नो कर्या छे, परंतु तेमनां नामो आपणा स्मरणपट उपरथी क्यारनाए भुसाइ गया छे. ए एक खरेखर आश्चर्यकारक वात लागे छे के संप्रति जेवा राजाने माटे तो, के जेनी विश्वसनीय कृति क्यांये पण आजसुधी उपलब्ध थइ नथी, केटलाए ग्रंथोमां बहु बहु वखाण करेला छे, त्यारे तेना ज समयनी आसपास थइ गयेला तथा साहसिक अने वीर एवा प्रख्यात पुष्यमित्र सरखा वैदिक नृपति उपर आर्दशरूप विजय मेळवनार खारवेल सेवा परम जैन राजानुं नाम सुधां पण कोइए स्मरी राख्यु नथी ! ३. जेम बौद्ध श्रमणोनी समये समये अमुक स्थानमा एकत्र परिषद् मळती हती तेम जैनश्रमणोनी पण परिषद् मळती होवी जोइए एम आ लेखनी वळण उपरथी जणाय छे. अशोक अने कनिष्क जेवी रीते बौद्ध श्रमणोनी पाटलीपुत्र अने मथुरामा परिषदो मेळवी हती तेवी रीते खारवेले पण सर्व दिशामांथी ज्ञानवृद्ध अने तपोवृद्ध निग्रंथ श्रमणोने आह्वान करी कुमारी पर्वत* उपर एक साधु परिषद् भरी हती. * कुमारी पर्वत ते कयो भने क्यां आगळ आवेलो छे ए बाबत प्रथम केटलोक तपास करेली परंतु काई खुलासो मळी शक्यो नहि. ज्यारे आ लखाण छेल्ली वारनुं संशोधित थइ प्रेसमां जाय छे ते वखते वडोदरेधी श्रीयुत चिमनलाल डाह्याभाई दलाल एम. ए. नुं पत्र मळ्युं तेमां तेओ आ बाबत लखे छे के-" कुमारगिरि (एटले कुमारी) पर्वत विषे आज Epigraphia Indica, October. 1915, P. 166. मां पांचवामां आव्यु के उदयगिरिनु मल नाम कुमार पर्वत हतुं अने खण्डगिरिनु नाम कुमारी पर्वत हतुं. १० मा ११ मा सैका सुधी आ बन्ने पर्वतो कुमार-कुमारी पर्वत तरीके जाणीता हता." आ उपरथी जणाय छे के कुमारी पर्वत ते खम्डगिरि ज छे अने एना उपर ज खारवेले निग्रंथ श्रमणोनी परिषद् भरी इती. "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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