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तेनी गादी उपर आव्या ए नक्की कर सरल नथी कारण के तेनी सत्तावार विगत मळती नथी."
कलिंगमाथी जैनधर्मर्नु निर्वासन.
कलिंगना आ संक्षिप्त इतिहास उपरथी जगाशे के ते देशमा एक वखत जैनधर्मे घणी उंची सत्ता भोगवी हती. आवी उन्नतदशाए पहोंचेलो जैनधर्म ते देशमाथी पाछळथी एटले सुधी विलुप्त थइ गयो के तेनुं नाम के निशान पण आजे त्यां जणातुं नथी ए एक खरेखर आश्चर्यकारक बनाव कही शकाय. बौद्धधर्म लुप्त थाय तेना तो अनेक कारणो छे अने ते कारणोने लइने ते एकला कलिंगमाथी ज नहि परंतु आखा भारतवर्षमाथी पण विलुप्त थयो छे; परंतु जैनधर्मना इतिहासमां आवां कशा कारणो जगातां नथी, तेमज ते अद्यावधि आर्यावर्तना अनेक प्रदेशोमा पोताना अस्तित्वने उत्तम रीते टकावी पण रह्यो छे. कलिंगमाथी जैनधर्म आवी रीते क्यारे अने कयां कारणोने लइने लुप्त थयो ते अद्यापि अज्ञात छ. उपर आपेला इतिहासथी एम जणाय छे के ई. स. ना ११ मा सैका सुधी तो ते प्रदेशमां जैनधर्म प्रचलित हतो. कारण के प्रथम तो खंडगिरिनी नवमुनि नामनी गुहामा ज जे एक लेख ए शताब्दीनो छे तथा जेमां जैनश्रमण शुभचंद्र अने कुलचंद्रनुं नाम आवे छे अने जे बाबत उपर लखाइ गइ छ, ते उपरथी सिद्ध थाय छे के ए समय सुधी तो त्यां जैनश्रमणो रहेता हता. बीजें उपर जे कलिंगनो संक्षिप्त इतिहास आपेलो छ तेमां जे चालुक्यो अने राष्ट्रकूटवंशीय राजाओ समये समये ए देश उपर चढाइ लइ जह एने पोताने ताबे बनावता हता एव॒ जणाव्युं छे, तेमांना केटलाए राजाभो तो जैनधर्मने माननारा के मान आपनारा हता तेथी तेमना
"Aho Shrut Gyanam"