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“ ई. स. ८ मा सैकानी मध्यमां राष्ट्रकूटना राजा दन्तिदुर्गे कलिंगदेश जीत्यो, पुनः ई. स. ९ मा सैकामां जैनधर्मना पोषक अकालवर्षे ते जीत्यो. ज्यारे ज्यारे बखत मळतो त्यारे त्यारे पूर्वना चालुक्यो ते देश उपर हमलो करता. ई. स. ना ११ मा सैकामां पूर्वीय चालुक्योना राजा राजराजदेवे तेना उपर स्वारी करी. "*
महान संस्कृत कवि कालिदास ई. स. ना ७ मा सैकामां थयो, तेथी नैसर्गिक रीते तेणे रघुनी जीतनो देखाव कलिंगमां मूक्यो इशे + ई. स. ना १२ मा सैकामां लखायला राजतरंगिणिमां कल्हण पंडिते ललितादित्यनी कलिंगनी जीत विषे घणुं रसमय वर्णन आप्युं छे. 8
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कलिंगदेश जीतवो ए मात्र उपचार थर पढ्यो अने ' कलिगाधिपति ' ए इस्काब घणो मानवंतो थयो; कारण के कोसल तथा चालुक्योना राजाओनी पाछळ ' त्रिकलिंगाधिपति 'नो इल्काब जोडेलो आपणे जोइए छीए. "
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ई. स. ९ मा सैकाना आरंभ सुधनो ओरीस्सानो इतिहास अस्तव्यस्त स्थितिमां छे. त्यां एक जोरावर वंश राज्य करतो हतो, ए ना कही शकाय तेम नथी, परंतु एक पछी एक कथा राजाओ
* डॉ. इ. हुल्टझना • दक्षिणाना लेखो ' पृ. ६३.
+ स तीर्खा कपिशां सैन्यैर्बद्ध द्विरदसेतुभिः । उत्कलादर्शितपथः कलिङ्गाभिमुखं ययौ ॥ रघुवंशम्, ४-३८. $ ' राजतरंगिणी ' इंग्रेजी भाषांतर, कर्ता डॉक्टर स्टेन, पु. १, भा. ४, १४७ मोोक, पृष्ठ १३४.
" Aho Shrut Gyanam"