________________
१५
वार आक्रमनो भंग करवामां आव्यो छे, परंतु क्रमभंग सलाटोना अज्ञानने लोवे छे. ९ मी अने १८ मी आकृतिमां जणाव्या प्रमाणे जैन शास्त्रमां नहि कहेली एवी आकृतिओ काढवा परथी तेमनुं अज्ञान साबीत थाय छे.
त्रिशूळ गुहानी उत्तरमां बारभूजा छे अने तेनी साथे नवमुनि गुदा छे.
नवमुनि गुहा एक साधारण गुहा छे, तेमां वे ओरडा छे अने एक ओटलो छे. आ गुहानी जरुर एटली ज छे के तेमां जैन श्रमण शुभचन्द्र विषेो एक लेख छे अने तेनी मिति ई. स. १० मी सदी छे. आर्कीओलॉजिकल सर्व्हे रिपोर्ट पु. १३ ना प्रकाशके आ कोतरेली आकृतिओ बुद्धनी छे एम गणवामां भूल करेली छे.
ई. स. १८ मी सदीना अंतमां खंडगिरिना शिखर उपर मराठाओए बंधावेला जैन देवालय विषे सहज सूचना करूं छं. कीट्टो ( Kittoe ) घारे छे के हालनुं देवालय कोइक चैत्यनी जग्या उपर बांधेलुं छे, कारण के त्यां जुना मकानोनी सामग्री तेने जडी हती. पण कोट्टोना कहेवा प्रमाणे त्यां कोई जुनुं देवालय पहेला होय तेम म्हने लागतुं नथी.
आ जैन देवालयथी पश्चिमे अने लगभग सपाट जमीन उपर केटलाक उभा चोरस पथ्थरो छुटा छवाया पड्या छे अने कर्नीम्हामना कहेवा प्रमाणे ते चैत्यो दर्शावे छे. आ ' देव सभा ' छे. कदाच आ नाम ए जम्यानुं ज होय.
नाइट्रोग्लीसराइन, फोडवानां दारु, गनकॉटन, कीसलगढ अगर नोबल डायनेमिक विगेरे पदार्थोनी शोध थयां पईला आवा खडकने
* कोडोनुं जे. ए. एस. बी. पु. ६ पा. १०७९.
९ कनरहामनो आकओलॉजिकल सर्व्हे ऑफ इंडिया, पु. १३, पा. ८०.
"Aho Shrut Gyanam"