SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [३८] में प्रतिष्ठित पार्श्वनाथ प्रतिमा है । गुरु मन्दिर के आगे पार्श्वयक्ष व मणिभद्र व पद्मावती देवी की मूर्तियाँ है । नयी दादावाड़ी यह उपर्युक्त मन्दिर के पास मरोठी एवं दूगड़ों की बगीची में है। इसमें श्री जिनेश्वरसूरि, अभयदेवसूरि, श्री जिनकुशलसूरि और श्री जिनचन्द्रसूरि-पांच गुरुदेवों के चरण दूगड़ मंगलचन्द हनुमानमल कारित और सं० १६६३ मिती ज्येष्ट बदि ६ के दिन श्रीपूज्य श्री जिन--- चारित्रसूरिजी द्वारा प्रतिष्ठित है । महोपाध्याय रामलालजीका स्मृतिमंदिर यह स्थान भी उपर्युक्त गंगाशहररोड पर श्री पायचन्दसूरिजी के सामने है। इसमें सं० १६६७ ज्ये०सु० ५ प्रतिष्ठित श्री जिनकुशलसूरि मूर्त्ति व चरण स्थापित है उसके सामने महो० रामलालजी यतिकी मूर्ति स्थापित है। जिसे उनके शिष्य क्षेमचन्द्रजी और प्रशिष्य बालचन्द्रजी यति ने बनवाकर सं० १६६७ मिती ज्येष्ठ सुदि ५ को प्रतिष्ठित की। यति हिम्मत विजयकी बगीची यह भी गंगाशहर रोडपर है इसमें श्री गौड़ी पार्श्वनाथजी, सिद्धिविजय ( सं० १६०२ ) और सुमतिविजय (सं० १८५३ प्रतिष्ठित ) के चरण हैं । श्रीपायचंद सूरिजी यह मन्दिर श्री गंगाशहर रोडपर है। नागपुरीय तपागच्छ के श्री पार्श्वचन्द्रसूरिजी की स्मृति में सं० १६६२ पोषवदि १ को महं० नबू के पुत्र महं० पोमा ने श्री पार्श्वचन्द्रसूरिजी का स्तूप बनवा कर चरण स्थापित किये। इसके आसपास विवेकचन्द्रसूरि पादुका, लब्धिचन्द्रसूरि, कनकचन्द्रसूरि, नेमिचन्द्रसूरि आदिकी पादुकाएँ व स्तूप- शालादि हैं। पीछे से यहां श्री आदिनाथ भगवान का भव्य और शिखरबद्ध मन्दिर निर्माण किया गया है। इस मन्दिरमें भातृचन्द्रसूरिजी की मूर्ति सं ० १६६२ की प्रतिष्ठित है । श्री पार्श्वनाथ मंदिर ( नाहटोंकी बगेची ) यह मंडळावतों ( हमालों) की बारी के बाहर टेकरी के सामने है । यह स्थान पहले स्थानकवासी यति पन्नालालजी आदिका निवास स्थान था। हनुमान गजलमें जो कि सं० १८७२ में रचित है, इस बगीची के बाहर पार्श्वनाथ गुफा का उल्लेख किया है। मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी हैं, जिस पर कोई लेख नहीं है। अभी यह बगीची नाहटों की कहलाती है श्री मूलचन्दजी नाइटा ने अभी इसका सुन्दर जीर्णोद्धार करवाया है । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy