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________________ [ ३६ } रेलदादाजी यह स्थान बीकानेर से १ मील, गंगाशहर रोड पर है। सं० १६७० में युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिजी का बिलाड़े में स्वर्गवास होनेके पश्चात् भक्तिवश बीकानेर के संघ ने गुरुमन्दिर बनवाकर सं० १६७३ को मिती वैशाख सुदि ३ को स्तूपमें चरण पादुकाओं की प्रतिष्ठा करवाई ! उसके पश्चात् सं० १९७४ (मेड़ता) में स्वर्गस्थ श्री जिनसिंहसूरिजी का स्तूप बनवाकर उसमें सं० १६७६ मिती जेठ बदि ११ को चरण स्थापित किए। इसके अनन्तर इसके आसपास यति, श्रीपूज्म, साधु-साध्वियों का अग्निसंस्कार होने लगा और उन स्थानों पर स्तूप, पदुकाएं, चौकियां आदि बनने लगी। अभी यहां १०० के लभभग स्तूप व चरण पादुकाएं विद्यमान हैं। प्रतिदिन और विशेष कर सोमवार को यहां सैकड़ों भक्त लोग दर्शनार्थ आते हैं। सं० १९८६ में श्री मोतीलालजी बांठिया की ओर से इसका जीर्णोद्धार हुआ है और सं० १९८७ ज्येष्ठ सुदी ५ रविवार को जिनदत्तसूरि मूर्ति, श्रीजिनदत्तसुरि, श्रीजिनचन्द्रसुरि, जिनकुशल सूरि और जिनभद्रसूरि के संयुक्त चरण पादुकाओं की प्रतिष्ठा हो कर युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरिजीके स्तूप से संलग्न सुन्दर छत्रियों में स्थापित किए गए हैं। यहांके लेखों से बहुत से यति साधुओं के स्वर्गवास का समय निश्चित हो जाता है, इसलिए यह स्थान ऐतिहासिक दृष्सेि महत्त्व का है। बीचके खुले चौकमें संगमरमरका एक विशाल चबूतरा बना है जिसमें आदर्श साध्वीजी श्री स्वर्णश्रीजी की चरण पादुकाएं स्थापित हैं। चार दीवारी के बाहर आचार्य श्री जयसागरसूरिजी की छतरी भी हाल ही में बनी है। शिवबाड़ी यह सुरम्य स्थान बीकानेरसे ३ मील की दूरीपर है। शिवजी (लालेश्वर महादेव) का मन्दिर होनेसे इस स्थान का नाम शिवबाड़ी है यहां के बगीचे में एक सुन्दर तालाव है। श्रावण महीने में तालाव भरजाता है और यहां कई मेले लगते हैं। श्रावण सुदि १० को जैन समाज का मेला लगता है उस दिन वहां पूजा पढाने के पश्चात भगवान की रथयात्रा निकालकर बगीचे में तालाव के तट पर लेजाते हैं और वहां स्नात्रपूजादि कर वापिस मन्दिर में ले आते हैं। श्री पाश्वनाथजीका मन्दिर-इसे 3० श्री सुमतिमंडनगणि (सुगनजी महाराज) के उपदेश से बीकानेरनरेश श्रीडूंगरसिंहजी के बनवाने का उल्लेख मोतीविजयजी कृत स्तवन में है। दादासाहब के चरणों के लेखके अनुसार इसका निर्माण सं० १९३८ में हुआ था। मूलनायकजी की प्रतिमा सं० १९३१ में श्रीजिनहससूरि द्वारा प्रतिष्ठित है। दादासाहबके चरण व चक्रेश्वरीजी की मूर्ति भी सैंसकरणजी सावणसुखा की ओर से स्थापित है । उदासर बीकानेर से ६ मील की दूरी पर यह गांव हैं । यहां पोसवालोंके १०० घर हैं। श्री सुपार्श्वनाथजी का मन्दिर-इस मन्दिर को श्री सदारामजी गोलछा ने बनवाया था "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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