________________ फांसी दी। इसी प्रकार सीधमुख आदिके विद्रोही ठाकुरों को भी दमन कर मरवा डाला। सं० 1871 में चूरूके ठाकुर के बागी होनेपर अमरचन्दजी ने ससैन्य आक्रमण किया और चूरू पर फतह पाई। इन सब कामोंसे प्रसन्न होकर महाराजा ने इन्हें रावका खिताब, खिलअत और सवारीके लिये हाथी प्रदान किया। इनके पश्चात् इनके पुत्र केशरीचन्द सुराणाने महाराजा रतनसिंह के समय राज्यकी बड़ी सेवाएं की। इन्होंने भी अपने पिताकी तरह राज्यके बागियों का दमन किया, लुटेरों को गिरफ्तार किया। ये राज्यके दीवान भी रहे थे। महाराजा ने इनकी सेवासे प्रसन्न होकर इन्हें समय समय पर आभूषण, ग्राम आदि देकर सम्मानित किया। अमरचन्दजी के ज्येष्ठ पुत्र माणिकचन्दजी ने भी राज्यकी अच्छी सेवा की और सरदारशहर बसाया। माणकचन्दजी के पुत्र फतहचन्दजी भी दीवानपद पर रहे और राज्यकी अच्छी सेवाएं की। वैद परिवार में मुहता अबीरचन्दजी ने डाकुओं को वश करनेमें बुद्धिमानी से काम लिया और बीकानेर राज्यकी ओरसे देहली के कामके लिए वकील नियुक्त हुए। सं० 1884 में डाकुओंके साथ की लड़ाई में लगे घावोंके खुल जानेसे उनका शरीरान्त हो गया। इसके पश्चात् मेहता हिन्दूमल ने राज्यकी वकालत का काम संभाला और बड़ी बुद्धिमानीसे समयसमय पर राज्यकी सेवाएं की। इन्होंने सं० 1888 में महाराजा रतनसिंहजी को बादशाह से 'नरेन्द्र (शिरोमणि )' का खिताब दिलाया, भारत सरकार को सेनाके लिए जो 22000) रुपये प्रति वर्ष दिये जाते थे, उन्हे छुड़वाया, एवं हनुमानगढ़ और बहावलपुर के सरहदी मामलों को बुद्धिमानी से निपटाया। सं० 1867 में महाराजा रतनसिंहजी व महाराणा सरदारसिंहजी ने इनके घरपर दावतमें आकर इनका सम्मान बढ़ाया। स्व. महाराजा श्री गंगासिंहजी ने आपकी सेवाओं की स्मृतिमें 'हिन्दूमल कोट' स्थापित किया है। इनके लघु भ्राता छौगमलजीने सरहदी मामलों को सुलझा कर राज्यकी बड़ी सेवाएं की। वेदों और सुराणोंमें और भी कई व्यक्तियोंने राज्यके भिन्न-भिन्न पदोंपर रहकर बड़ी सेवाएं की। जिनके उपलक्ष में राज्यकी ओरसे उन्हें कई गांवोंकी ताजीमें और पैरों में सोनेके कड़े मिलना, राज्यकी ओरसेविवाहादि का खर्च पाना, मातमपुरसी में महाराजाका स्वयं आना आदि कार्यों द्वारा सम्मानित होना उनके अतुलनीय प्रभावका परिचायक है / हिन्दूमलजीको व उनके पुत्र हरिसिंहजीको भी 'महाराव' का खिताब राज्यकी ओरसे प्रदान किया गया। हरिसिंहजी ने भी राज्यकी ओरसे वकालत आदिका काम किया। इसी वैद परिवारके वंशज राव गोपालसिंहजी कुछ वर्ष पूर्व तक आबूमें बीकानेर की ओरसे वकील रहे हैं। ये हवेलीवाले बैद कहलाते हैं। इस परिवार को ताजीम आदि-गांव मिले हुए हैं। बीकानेर के बैद परिवार में मोतियों के आखावाले' वैदोंका भी राज्यकी सुव्यवस्था में अच्छा हाथ रहा है / इस परिवारके प्रमुख पुरुष राव प्रतापमलजी व उनके पुत्र राव नथमलजी ने महाराजा सूरतसिंहजी व रतनसिंहजी के राज्यकालमें अच्छी सेवायें की। इन पिता-पुत्रको भी "Aho Shrut Gyanam