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________________ महाराजा साहबने 'राव'का खिताब, गांव ताजीम, सिरोपाव आदि प्रदान किये। राव प्रतापमलजीका केवल बीकानेर में ही नहीं किन्तु जोधपुर, जयपुर और जैसलमेर आदिके दरबारमें भी अच्छा सम्मान था। इनको कई खास रुक भी मिले हुए हैं। राव प्रतापमलजी ने प्रताप सागर कुआ, प्रतापेश्वर महादेव, प्रताप बारी आदि बनवाये। महाराजा रतनसिंहजी स्वयं इनके घर पर गोठ अरोगने आते थे। महाराजा ने इनके ललाट पर मोतियों का तिलक किया था, इसीलिये ये 'मोतियों के आखा (चावल) वाले बैद कहलाते हैं। महाराजा सरदारसिंहजी व डूंगरसिंहजी के राज्यकाल में मानमलजी राखेचा, शाहमलजी कोचर, मेहता जसवन्तसिंहजी, महाराव हरिसिंहजी वैद, गुमानजी बरड़िया, साह लक्ष्मीचन्दजी सुराणा, साह लालचन्दजी सुराणा, साह फतेहचन्दजी सुराणा, राव गुमानसिंह वैद, धनसुखदासजी कोठारी आदिने सैनिक, आर्थिक राजनैतिक आदि क्षेत्रोंमें अपूर्व सेवाएँ की तथा इनमें से कई राज्यकी कौंसिलके सदस्य भी रहे। महाराजा गंगासिंहजी के राज्यकाल में मेहता मंगलचन्दजी राखेचाने कौंसिलके सदस्य रहकर राज्यकी सेवायें की। महाराजा डूंगरसिंहजीको महाराजा सरदारसिंहजी के गोद दिलवाने में गुमानजी बरड़िया का प्रमुख हाथ था! इन्हें भी कई खास रुक्के एवं गांव आदि मिले हुए हैं। महाराजा गंगासिंहजी के राज्यकाल में मंगलचन्दजी राखेचा के अलावा सेठ चांदमलजी ढड्ढा सी० आई० ई० रायबहादुर शाह मेहरचन्दजी कोचरने रेवेन्यु कमिश्नर रहकर, शाह नेमचन्दजी कोचर ने बड़े कारखानेमें अफसर रहकर खजानेमें शाह मेघराजजी खजान्ची मेहता लूणकरणजी कोचरने नाजिम रहकर, मेहता उत्तमचन्दजी कोचर एम० ए० एल० एल० बी० डिप्यूटी जज हाईकोर्ट ने राज्यकी सेवा की। बीकानेर राज्यकी सेवा करनेमें विद्यमान उल्लेखनीय व्यक्ति ये हैं-मेहता शिववक्षजी कोचर रिटायर्ड अफसर जकातमंडी, शाह लूणकरणजी कोचर अफसर बड़ा कारखाना, मेहता चम्पालालजी कोचर बी० ए०, एल० एल० बी० नायब अफसर कन्ट्रोलर ऑफप्राइसेज, सरदारमलजी धाडीवाल अफसर खजाना, लहरचंदजी सेठिया एम० एल० ए० बुधसिंहजी बैद रिटायर्ड अफसर देवस्थान कमेटी आदि इनके अतिरिक्त और भी कई ओसवाल सजन तहसीलदार, लेजिरलेटिव एसेम्बलीके सदस्य आदि हैं। बीकानेर नरेश और जैनाचार्य राठौड़ वंशसे खरतर गच्छका सम्पर्क बहुत पुराना है। वे सदासे खरतरगच्छाचार्योंको अपना गुरु मानते आये हैं अतः बीकानेर के राजाओं का खरतर गच्छाचार्यों का भक्त होना स्वाभाविक ही है। साधारणतया राजनीति में हरेक धर्म और धर्माचार्यों के प्रति आदर दर्शाना आवश्यक होता है अतः अन्य गच्छोंके श्रीपूज्यों एवं यतियोंके प्रति भी बीकानेर १राव प्रतापमलजी के वंशजों की बहोमें इसका विस्तृत वर्णन है। 2 अब बीकानेर राज्यका राजस्थान प्रान्तमें विलय हो गया है। इसमें श्रीयुक्त चम्पालालजी कोचर शिखरचन्दजी कोचर, भंवरलालजी वैद आदि विभिन्न पदोंपर राजस्थान की सेवा कर रहे हैं। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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