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बीकानेर जैन लेख संग्रह
( २२८३ ) सिद्धचक्र के यन्त्र पर
संवत् १८४३ मिते आश्विन शुकु पूर्णिमास्यां शनौ सिद्धचक्रयन्त्र कारितं || श्रीमद्विक्रमपुरे ॥
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दादा श्री जिनकुशलसूरिजी का मन्दिर
( २२८४ )
जीर्णोद्धार लेख
दधदतुलयशो युगप्रधानः खरतरगच्छ वराच्छ रत्नराशिः । जिनकुशल सुनामधेयः धन्यो व्यतनुत नालपुरेऽत्र भावुकानि ॥ १ ॥ राधे शुक्ले दशम्यां रस नव नव भू वत्सरे विक्रमस्य । कोठारी रावतस्यात्मज इह मतिमानोश वंशावतंशः । श्री भैरू दाननामा सममथ विविधे नान्या जीर्णोद्धरेण तत्पादाम्भोजयुग्मो परिदृषद् मलच्छत् मेतच्चकार || २ || श्री पूज्य जिनचारित्रसूरिवर्योपदेशतः प्रतिष्ठां लभता मेषास्थिरता मचलांचले || ३ || श्री मज्जिन हरिसागरसूरीणां समुर्वरित कीर्तिनां । समागतिः सहशिष्यैर्व्यधादिह विधान साफल्यम् ॥ ४ ॥
( २२८५ ) ॐ अर्हं नमः
श्री दादा गुरुदेव मन्दिर जीर्णोद्धार प्रशस्तिका
ॐ अर्हनमः । जंगम युगप्रधान वृहद् भट्टारक खरतरगच्छाधिराज दादाजी श्री श्री १००८ श्री जिनकुशलसूरीश्वरजी महाराज के चरणारविन्दों पर श्रीपूज्यजी श्रीजिनचारित्रसूरीश्वरजी महाराज के सदुपदेश से नाल ग्राम में संगमर्मर की सुन्दर छत्री अन्य आवश्यक जीर्णोद्धार के साथ बीकानेर निवासी स्व० सेठ श्री रावतमलजी हाकिम कोठारी के सुपुत्र धर्मप्रेमी सेठ भैरोंदानजी महोदय ने भक्तिपूर्वक बनवाने का श्रेय प्राप्त किया मिती बै० शु० १० भृगुवार सं० १९९६ को बड़े समारोह के साथ ध्वजदंड कलशादि का प्रतिष्ठोत्सव सम्पन्न किया। इस सुअवसर में जनाचार्य श्री जिनहरिसागरसूरीश्वरजी महाराज की समुपस्थिति अपने विद्वान शिष्यों के साथ विशेष वर्णनीय थी ।
[ २२८६ ]
स्तम्भ पर जीर्णोद्धार लेख
|| संव्वत् १८८२ मिते कार्त्तिक सु १५ । भ । जं । यु । भ । श्री जिनहर्षसूरिजी विजयराज्ये सद्गुरु स्थानके श्रीसंघेन कारितं ।
"Aho Shrut Gyanam"