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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह (२२६४ ) मूलनायक श्री पार्श्वनाथ जी __सं० १८३१ फा० सित ७ तिथौ श्री गौड़ीपार्श्वनाथ जिन बिंबं भ० श्री जिनलाभसूरिभिः प्रतिष्ठितं । वा० नयविजय गणि शिष्य पं० सुखरत्न शिष्य दयावर्द्धन कारापितं देशलसर मध्ये। ( २२६५ ) दादा श्री जिनदत्तरि पादुका पर सं० १८३१ फा० सुद ७ श्री जिनदत्तसूरि पादुके ( २२६६ ) श्री जिनकुशलसूरिजी के चरणों पर सं० १८३१ फा० सुद ७ श्री जिनकुशलसूरि जी पादुके ( २२६७ ) पं० नयविजय पादुका (२२६८ ) पं० सुखरत्न पादुका (२२६९) श्री हीरविजयसूरि मूर्ति पर श्री नोखामंडी नगरे वि० सं० १९९८ वैशाख कृष्णा ६ गुरुवासरे मुगल सम्राट अकबर प्रतिबोधक तपा गच्छाधिराज जैनाचार्य ....... 'श्री विजयहीरसूरीश्वराणामियं मूर्तिः श्रीसंघेन कारिता आचार्य श्रीमद् .......... ( २२७०) श्रीविजयानन्दसूरिजी की मूर्ति पर श्री नोखामंडी नगरे वि० सं० १९९८ वैशाख कृष्णा ६ गुरुवासरे युगप्रधान न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य श्री मद्विजयानन्द ( आत्मारामजी ) सूरीश्वराणामियं मूर्तिः श्रीसंघेन कारिता आचार्य श्री मद्विजयलक्ष्मणसूरिभिः । ( २२७१ ) पार्चयक्ष मूर्ति पर इयं मूर्ति पार्श्व यक्षस्य नोखामंडी (बीकानेर) श्री संघेन कारिता प्रतिष्ठिता च तपोगच्छाधिपति जैनाचार्य श्री विजयलक्ष्मणसूरीश्वरः सं० १९९७ माघ शुक्ल १४ चन्द्रवासरे। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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