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________________ यांकानेर जन लख संग्रह प्रवर्तनी श्रीस्वणश्रीजी के स्तूप पर ( २१२८ सं० १६६० पौष कृ. रविवार दिने धृहत्खरतरगच्छे पूज्य श्रीसुखसागरजी म.के शृंघाटकानुयायिनी प्रवर्तिनी जी सा० श्रीपुण्यश्रीजी म० की पट्टधारिणी प्र० श्रीसुवर्णश्नीजी महाराजके चरण बीकानेर मध्ये श्रीसंघेन कारापितम्। जन्म वि० सं० १९२७ ज्येष्ठ १० ११ अहमदनगर। दीक्षा- सं० १९४६ मिगसर सु० ५ नागौर, स्वर्ग सं० १९८६ माघ ०१ शुक्रवार दिने ( २१२६ । फर्श पर यह मार्बल फश श्री बीकानेर निवासी कुशालचंदजी गोलछा के नाम स्मरणार्थ इनके सुपुत्र छगनमलजी अमोलखचंदजी धर्मचंदजी गोलछे ने बनवाई सं० १९६० । (२१३०) श्रीजिनसौभाग्यसूरि छतरी [सं०-१६४८ की, लेखाङ्क २०६७ ] पर . बंगली सुश्रावक कूकड़ सा० कोठारी श्री सुजाणमलजी तत्पुत्र बापमल्लजी हजारीमलजी मोतीलालजी ॥ केशरीचंदजी कारापितं ।। शुभंभवतु ।। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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