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________________ श्री मूलचन्दजी नाहटा का जीवन परिचय श्रीमूलचन्दजी नाहटा कलकत्ता के छत्तों के बाजार में एक प्रतिष्ठित व्यापारी होने के साथ-साथ उदार, सरल, धर्मिष्ठ और निश्छल व्यक्ति हैं। साधारण परिवार में जन्म लेकर अपनी योग्यता के बलपर संघर्षमय जीवन यापन करते हुए आप अपने पैरोंपर खड़े होकर उन्नत हुए, यही इनकी उल्लेखनीय विशेषता है । इन्होंने सं० १६५० में बीकानेर में मार्गशीर्ष शुक्ला ९ को श्री सैंसकरणजी नाहटा के घर जन्म लिया, इनकी माता का नाम छोटाबाई था । बाल्यकाल में हिन्दी व लेखा गणितादि की सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के बाद सं० १६५८ में बाबाजी हीरालालजी के साथ कलकत्ता आये परसं० १६५६ में पिताजी का स्वर्गवास होनेसे वापस बीकानेर चले गये । पिताजी की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, उन्होंने सब कुछ सौदे में स्वाहा कर दिया, यावत जेवर गिरवी व माथे कर्ज छोड़ गए थे। अंधी मां एवं दो दो बहिनें, मामाजी सुगनचंदजी कोचर से आपको सहारा मिला । अजितमलजी कोचर के पास रिणी, सरदारशहर में तीन वर्ष रह कर लिखापढी व काम काज सीखे। सं० १६६४ में कलकत्ता आये, लालचंद प्रतापचंद फर्म में मगनमलजी कोचर से चलानी 'व खाता बही का काम सीखा। पहले वासाखर्च पर रहे फिर १२५५ की साल और सं० १६६८ तक ४०० ) तक वृद्धि हुई । सं० २६६६ में बीकानेर आकर नेमचंदजी सेठिया के साझेदारी में "नेमचंद मूलचंद” नाम से कपड़े की दुकान की। इसी बीच सं० १६६७ में एक बहिन का व्याह हुआ सं० १९७० तक कोचरों के यहाँ थे फिर पूर्णतः स्वावलंबी होनेपर सं० १६७० में अपना विवाह किया व छोटी बहिन छगनमलजी कातेला को व्याही। दुकान चलती थी, प्रतिष्ठा जम गई । सं० १६७२ में युरोपीय महायुद्ध छिड़ने पर दुकान बंदकर आप कलकत्ता आये । पनालाल किशनचंद बांठिया के यहाँ ४५०) की साल में रहे ६ मास बाद ६५०) दूसरे वर्ष १०००) की साल हुई। इस प्रकार उन्नति कर ऋण परिशोध किया। फिर श्री अभयराजजी नाहटा के साझे में एक वर्ष काम किया जिससे १०००) रुपये का लाभ हुआ। गंभीरचंद राठी के साझे में 11 वर्ष में ७००० ) पैदा किये । सं० १९७६ से चार वर्ष तक प्रेमराज हजारीमल के सांझे में काम किया फिर हमीरमल बहादुरमल के साथ काम कर मूलचंद नाहटा के नाम से स्वतंत्र फर्म खोला । १६६० में बाबाजी हीरालालजी के गोद गये । सं० १६६६ में युद्धकालीन परिस्थितिवश बीकानेर जा कर कपड़े की दुकान की । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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