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________________ की। आपके पुत्ररत्न मन्त्रीश्वर कर्मचन्द्र अपने वंशमें मुकुटमणि हुए, इन्होंने शर्बुजय, आबू, गिरनार व खंभात तीर्थोकी सपरिवार यात्रा की। इन्होंने महाराजा कल्याणसिंहजी को विज्ञप्ति कर वर्षात के चार महीनों में तेली, कुंभार, हलवाई लोगोंसे आरंभ बंध करवाया। नगर के वैश्यों पर जो माल नामक कर था, छुड़वाया व भेड़, बकरी आदिका चतुर्थाश कर माफ करवाया । मुगल सेनाके आबू पर आक्रमण करने पर इन्होंने सम्राट की आज्ञासे जैन मन्दिरोंकी रक्षा की। बन्दियों को अन्न, वस्त्र आदि देकर जीवितदान दिया और अन्हें अपने घर पहुंचा दिया। समियाने ( सिवाना) के युद्ध में लुटी हुई लोगोंकी औरतों को छुड़ाया, सं० १६३५ के महान् दुकाल में १३ मास पर्यन्त दानशाला व औषधालय खुलवाकर जन साधारण का हितसाधन किया। स्वधर्मी बन्धुओं को उनकी आवश्यकतानुसार वार्षिक व्यय देकर सच्चा स्वधर्मीवात्सल्य किया। इन्होंने ठेठ काबुल तक के प्रत्येक ग्राम नगर में लाहण वितीर्ण की। शास्त्रवेत्ता गुरुओं से ग्यारह अंग श्रवण किये। महीने में ४ पर्वतिथियों में कारू लोगोंसे अगता रखवाया, वर्षात में तेली और कुंभारों से आरंभ छुड़वाया। मरुभूमि में सब वृक्षोंको काटना बंद करवाया। सतलज, डेक, रावी, आदि सिन्धुदेश की नदियों में मछली आदि जलचर जीवोंकी रक्षा की। शत्रुओं के देशसे लाए गए बन्दीजनों को अन्न-वस्त्र देकर अपने-अपने घर पहुंचाया समस्त जैन मन्दिरों में अपनी ओरसे प्रतिदिन स्नात्रपूजा कराने का प्रबन्ध कर दिया। अजमेर में श्रीजिनदत्तसूरिजी के स्तूप की यात्रा की। एक समय द्वारिका के चैत्योंका विनाश सुनकर उन्होंने सम्राट अकबर से जैन तीर्थों की रक्षा की प्रार्थना की। सम्राट ने समस्त तीर्थोको मंत्रीश्वर के आधीन करने का फरमान दे दिया। उन्होंने तुरसमखान के कैद किये हुए बन्दिओंको द्रव्य देकर छुड़वाया। जैनोंके बनवाये हुए कुएं आदि सार्वजनिक कार्य जैनोंने कुछ ऐसे भी सर्व-जन हितकारी कार्य किए है जिनका उल्लेख यहाँ आवश्यक है। बीकानेर नगर एवं रियासत के गांवों में बहुत से कुएं तालाव आदि बनवाये हैं जिनमें से बीकानेर शहर में व बाहर वैद मुंहता प्रतापमलजी का, रतनगढ़ में सुराणा अमरचंदजी का, सरदारशहर में बोथरा हरखचंदजी का, लूणकरणसर में मूलचंदजी बोथरा का, डूंगरगढ़ में पुगलियों व पारखोंका, फूलदेसर में भैरूंदानजी कोठारी का, भीनासर में चंपालालजी बांठिया का, गंगाशहर में सेठ चांदमलजी ढढाका, जलालसर में हमारे पूर्वजों का, चूरूमें कोठारियों के बनवाए हुए कुएं हमारी जानकारी में है इनके अतिरिक्त जहाँ कहीं भी ओसवालों की बस्ती थी या है, सभी जगह उनके द्वारा कुएं बनवाये गए थे। औषधालय बीकानेर नगरमें श्री. लक्ष्मीचन्दजी डागाका औषधालय वर्षों तक था। अभी श्री. भैरू दानजी कोठारी व ज्ञानचन्दजी कोचर, मगनमलजी पारख की ओर से दो फ्री औषधालय "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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