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[ ८५] चलते हैं। सरदारशहरमें नथमलजी कोठारी, सुजानगढ़ में दानचन्दजी चोपड़ा, आदिके औषधालय चलते हैं। भीनासर में श्री बहादुरमलजी और चंपालालजी के दो औषधालय हैं।
विद्यालय
शिक्षण कार्य में भी जैनोंका सहयोग उल्लेखनीय है। बीकानेर में श्रीयुक्त बहादुरमल जसकरण रामपुरियाका कालेज व बोर्डिंग हाउस, केशरीचन्दजी डागाकी धर्मपत्नी इन्द्रबाई ट्रष्टसे कन्या पाठशाला, श्री० अगरचन्द भैरूंदान सेठियाकी पाठशाला, संस्कृत पाठशाला, रात्रि कालेज, कन्या पाठशाला, जैन श्वे० संघकी ओरसे जैन श्वे० हाईस्कूल व बोर्डिंग हाउस, श्री गोवि न्दरामजी भणसाली की कन्या पाठशाला और पायचन्द गच्छकी रात्रि धार्मिक स्कूल चलती है । गंगाशहर में श्री० भैदानजी चोपड़ाकी हाई स्कूल, भीनासर में श्रीयुक्त चम्पालालजी बांठिया की कन्या पाठशाला, चूरू में कोठारियों का विद्यालय, श्री श्वे० साधुमार्गी जैन हितकारणी संस्थाकी ओर से नोखामंडी, झ, ऊदासर, साखेड़ा, नोखा में प्रारम्भिक शिक्षण शालाएं चल रही हैं। और भी बीकानेर रियासत के कितने ही स्थानों में ओसवालोंकी स्कूलें व व्यायामशालाएं आदि संघ व व्यक्तिगत रूपसे चल रही हैं ।
बीकानेर के दीक्षित महापुरुष
बीकानेरके श्रावकों एवं श्राविकाओं में से सैकड़ों भव्यात्माओंने सर्वविरति एवं देशविर ति चारित्रको स्वीकार कर अपने जीवनको सफल बनाया उनमें से कई मुनिगण बड़े ही प्रकाण्ड विद्वान, क्रियापात्र, योगी एवं धर्म प्रचारक हुए हैं। श्रीमद् देवचन्द्रजी जैसे अध्यात्म तत्त्वानुभवी, श्रीमद् ज्ञानसारजी जैसे महतयोगी, श्रीमद् क्षमाकल्याणजी जैसे आगम- विशारद श्री जिनराजसूरि जैसे समर्थ आचार्य कवि आदि इसी बीकानेरकी भूमिके उज्वल रत्न थे । यद्यपि बीकानेर के दीक्षित मुनियों में से बहुत ही थोड़े व्यक्तियोंका लल्लेख हमें प्राप्त हुआ है, फिर भी यह तो निश्चित है कि बीकानेर राज्य में उत्पन्न सैकड़ों ही नहीं किन्तु हजारोंकी संख्या में दीक्षित एवं देशविरति धर्माराधक व्यक्ति हुए हैं। हम यहां केवल उन्हीं व्यक्तियोंका निर्देश कर सकेंगे जिनके विषय में हमें निश्चित रूपसे ज्ञात हो सका है ।
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सतरहवीं शताब्दी के शेषाद्ध के प्रतिभा संपन्न आचार्य श्रीजिनराजसूरिजी प्रथम उल्लेखनीय हैं। आपका जन्म बीकानेरके बोथरा धर्मसिंहकी पत्नी धारलदेवी की कुक्षिसे सं० । ६४७ वैशाख सुदि ७ बुधवार को हुआ था और इन्होंने श्रीजिनसिंहसूरिजी से सं० १६५६ मिगसर सुदि १३ को बीकानेर में दीक्षा ली थी। इनके पट्टधर श्रीजिनरत्नसूरिजी भी बीकानेर राज्य के सेरूणा ग्रामके लूणिया तिलोकसीकी पत्नी तारादेवीके पुत्र थे। आपके पट्टधर श्रीजिनचन्द्रसूरि भी बीकानेर के चोपड़ा सहसमलकी पत्नी सुपियारदेके कुक्षिसे उत्पन्न थे। उनके पट्टधर श्रीजिनसुखसूरिजी फोगपत्तनके और श्रीजिनभक्तिसूरिजी इन्दपालसरके थे ये प्राम भी बीकानेर के ही संभवित हैं। उनके पट्टधर श्रीजिनलाभसूरिजी बीकानेरके बोथरा पंचायण की भार्या पद्मादेवी
"Aho Shrut Gyanam".