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________________ संग्रहालय जैन उपाश्रयों में हैं। जिनमें से नं० १, ४, ५, ६, ७, ९, १०, ११, १४ जैन श्रावकों की देखरेख में हैं अवशेष संग्रह व्यक्तिगत हैं। जिनके सुरक्षित रहनेका प्रबन्ध अत्यावश्यक है। उपाश्रयों के अतिरिक्त जैन श्रावकों के निम्नोक्त व्यक्तिगत संग्रह भी उल्लेखनीय हैं : (१) श्री अभय जैन पुस्तकालय - प्रस्तुत संग्रह पूज्यश्री शंकरदानजी नाहटाने अपने द्वितीय पुत्र स्वर्गीय अभयराजजी नाहटाको स्मृति में स्थापित किया है। यह हमारे २७ वर्षे के निजी प्रयत्न एवं परिश्रम का सुफल है। इस संग्रहालय में अद्यावधि पत्राकार हस्तलिखित लगभग १५००० प्रतियां संग्रहित हो चुकी हैं। ५०० के लगभग गुटकाकार प्रतियों का संग्रह एवं १५००० मुद्रित प्रन्थोंका संचय है। ऐतिहासिक सामग्रीके संग्रहका विशेष प्रयत्न किया गया है। ऐतिहासिक ग्रंथों के अतिरिक्त जैनाचार्यो एवं यतियों के पत्र, राजाओं के पत्र, खासरूक्के, सं० १७०१ से अब तक के प्रायः सभी वर्षों के पंचांग, ओसवालोंकी वंशावली आदि अनेकानेक महत्त्वपूर्ण सामग्री का विरल संग्रह है। ग्रंथ संग्रहालय के साथ साथ “शंकरदान नाहटा कला-भवन" भी सम्बन्धित है जिनमें विविध प्राचीन चित्र, सचित्र विज्ञप्तिपत्र, कपड़े पर आलेखित सचित्र पट, प्राचीन मुद्राएँ, कूटे के पूठ, कलमदान, डब्धियें, हाथी, सिंहासन, ताड़पत्रीय, सचित्र व स्वर्णाक्षरी-रौप्याक्षरी-प्रतियां, हाथी दांत व पीतल की विविध वस्तुओंका संग्रह किया गया है। इनमें से सचित्र विज्ञप्तिपत्र, बौद्ध पट आदि कतिपय कलापूर्ण वस्तुएं तो अनोखी हैं। इस संग्रहालय में साहित्य संसार में अज्ञात विविध विषय एवं भाषाओं के सैकड़ों महत्त्वपूर्ण ग्रंथ हैं। बहुत से दुर्लभ ग्रंथों की प्रेसकापियां भी तैयार की गई हैं। अनेक सुकवियोंकी लघुकृतियों का संग्रह पाटण, जेसलमेर, कोटा, फलोदी, जयपुर, बीकानेर आदि अनेक ज्ञानभंडारोंकी सूचियें विशेष उल्लेखनीय हैं। (२) सेठिया लाइब्रेरी श्री अगरचन्दजी भैरू दानजी सेठियाकी परमार्थिक संस्थाओं में यह भी एक है। इसमें १५०० हस्तलिखित प्रतिएं एवं १०००० मुद्रित ग्रंथों का सुन्दर संग्रह है। (३) गोविन्द पुस्तकालय-इसे श्री गोविन्दरामजी भीखमचंदजी भणसालीने स्थापित किया है। यह पुस्तकालय नाहटों की गुवाड़ में हैं। इसमें लगभग १७०० हस्तलिखित एवं १२०० मुद्रित ग्रंथ हैं। (४) मोतीचन्दजी खजाउचीका संग्रह-श्रीयुक्त जौहरी प्रेमकरणजी खजाठचीके सुपुत्र बाबू मोतीचन्दजी को कुछ वर्षोंसे हस्तलिखित ग्रंथों एवं चित्रादि के संग्रह करने का शौक लगा है। आपने थोड़े समयमें लगभग ६००० हस्तलिखित ग्रंथों एवं विशिष्ट चित्रादि का सुन्दर संग्रह कर लिया है। (५) श्री० मानमलजी कोठारी का संग्रह - आपके यहां करीब ३०० हस्तलिखित प्रतिए एवं २००० मुद्रित ग्रंथोंका संग्रह है। हस्तलिखित ग्रंथोंकी सूची अभी तक नहीं बनी। आपके यहाँ कुछ चित्र पत्थर और अस्त्र-शस्त्रादि का भी अच्छा संग्रह है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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