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[६८ ] (६) मंगलचन्दजी मालूका संग्रह-आपके यहां भी जैनागमादि ग्रंथोंका संग्रह है पर अभी तक हम अवलोकन नहीं कर पाये।
(७) भंवरलालजी रामपुरिया का संग्रह-आपके संग्रह में भी कुछ हस्तलिखित ग्रंथ हैं। (८) मंगलचन्दजी झाबकका संग्रह-आपके यहां भी कुछ हस्तलिखित ग्रंथोंका संग्रह है।
(8) श्रीराय गोपालसिंहजी बैदका संग्रह--आपके यहां भी हस्तलिखित गुटकों एवं चित्रों का अच्छा संग्रह है।
इन जैन संग्रहालयों के अतिरिक्त बीकानेर महाराजाकी अनूप-संस्कृत-लाइब्रेरी जो कि पुराने किले में अवस्थित है, बहुत ही महत्त्वपूर्ण ग्रन्थागार है। इसमें वेद, वेदान्तादि सभी विषयकी १२००० हस्तलिखित प्रतियें एवं १०० के लगभग गुटके हैं। इन प्रतियों में जैन प्रतियों की संख्या भी १५०० के लगभग होगी। राजस्थानी साहित्य पीठ में स्वामी नरोत्तमदासजी प्रदत्त हस्तलिखित ग्रंथोंमें भी कुछ जैन ग्रंथ हैं।
___ प्रस्तुत लेखमें केवल हस्तलिखित प्रतियोंके ज्ञानभंडारों का ही परिचय देना अभीष्ट होने से मुद्रित ग्रंथोंके पुस्तकालयों-श्रीमहावीर जैन मण्डल, सुराणा लाइब्रेरी, प्रधान वाचनालय आदिका परिचय नहीं दिया गया है। ऊपर लिखे हस्तलिखित ग्रंथालयों में मुद्रित ग्रंथोंका संग्रह भी है, खोज करने पर यति यतिनियां और श्रावकोंके घरों में थोड़ी बहुत हस्तलिखित प्रतियां पाई जा सकती हैं।
उपर्युक्त सभी ज्ञानभण्डार बीकानेर में हैं। अब बीकानेर राज्यवर्ती जैन ज्ञानभण्डारों का संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है।
१ गंगाशहर - बीकानेर से २ मील पर है। यहां जैन श्वे. तेरापंथी सभामें लगभग ३०० हस्तलिखित ग्रंथ और मुद्रित ग्रंथोंका भी अच्छा संग्रह है।
२ भीनासर-बीकानेर से ३ मील है ! यहां यतिवर्या सुमेरमलजी का अच्छा संग्रह है, जिनमें से कुछ प्रतियों का हमने दर्शन किया है। यहां श्रीयुक्त बहादूरमलजी बांठिया के संग्रह में भी चुनी हुई ७००-८०० अच्छी प्रतियां हैं कई वर्ष पूर्व हमने उनका अवलोकन किया था। श्री चम्पालालजी बैद के यहां भी अच्छा संग्रह सुना जाता है, हमने अभी तक देखा नहीं ।
३ देसनोक-बीकानेरसे १६ मील दूर है। यहां स्वर्गीय तरुतमलजी डोसी एवं लौंकायति जीके संग्रह में कुछ हस्तलिखित ग्रंथोंका संग्रह है।
४ कालू-भटिण्डा रेलवे लाईन के लूणकरणसर स्टेशन से १२ मील पर यह गांव है । यहाँ यति किसनलालजीके संग्रहमें हस्तलिखित प्रतियां है पर हम उनका अवलोकन नहीं कर पाये।
५ नौहर--यहांके श्रावकों के पास यतिजी की कुछ हस्तलिखित प्रतियां हैं।
६ सूरतगढ़-यहां के जैन मन्दिरके पीछेके कमरे में एक पुस्तकालय है जिसमें कुछ हस्तलिखित प्रतियां भी हैं।
७ हनुमानगढ़-यहां ताराचन्दजी तातेड़ के मकान में अच्छा संग्रह है। एवं देवी जी
"Aho Shrut.Gyanam"