SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 316
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३०३) जातीय श्रे. झांझण भार्या राउल पुत्र सिंहराजने भार्या पद्यादेवी, लालूबाई पुत्र पवाजी भार्या मोहिनी पुत्र विजयसिंह सहित श्रीपार्श्वनाथजी की (कायोत्सर्ग) प्रतिमा करवाई। (३२६) सं० १३५१ में ब्राह्मणगच्छीय मेता भंडाहड़िय श्रे० पूनसी (पुण्यसिंह) भार्या पालदेवी पुत्र पद्मसिंहने (कायोसर्गस्थ) जिनयुग्म प्रतिष्ठित करवाये । (३२७) षट्चतुष्किा स्तम्भ पर. सं० १४८६ वैशाखकु. १ बुधवार के दिन ब्रमाणगच्छ के भट्टारक श्रीपुण्यामसूरि के पट्टधर श्रीभद्रेश्वरसूरि के पट्टाधिपति श्रीविजयसेनसूरि के पट्टधर श्रीरत्नाकरमूरि के शिष्य श्रीविमलमरि के द्वारा पुण्यार्थ रंगमंडप बनवाया। (३२८) पद्मशिला की छत में सं० १२४२ चैत्र शु० पूर्णिमा के रोज ब्रह्माणगच्छासुयायी श्रीपूनिगपुत्री ब्रह्मदत्ता जिंनहा पोल्हा, नामकी सहित श्री अजितनाथजी की देवकुलिका के लिये वीरप्रभु "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy