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________________ ( ३०२ ) अपनी ' प्राचीन जैन लेखसंग्रह ' नामक पुस्तक में संग्रहित किये हैं। उनका अंतिम लेख सं० १३१६ का है। जैसा उक्त पुस्तक के लेखक ४६५ से प्रगट होता है। धातुचोबीसी के उक्त लेख से स्पष्ट प्रगट है कि यह लेख उस समय के पश्चात् का है जब बुद्धिसागर विमलसूरि के पट्ट पर आरूढ़ हो चुके थे । अतः यह लेख सं० १३२८ का होना चाहिये । प्राचीन जैन लेख संग्रह में इनके दो लेख ४९९, ५०० नम्बर के १३२६ के हैं । ( ३२३ ) महावीर मुछाला के मंदिर के छज्जा में संवत १०१३ में संबलसिंहने यह छञ्जा करवाया । ( ३२४ ) महावीरमुछाला चैत्य में सुरक्षित पवासन पर - सं० १२१४ फाल्गुनशु० ५ के दिन श्रीवंशीय मांडवगोत्र के यशोभद्रसूरि सन्तानीय अनुयायी मंत्री श्रीसौहार के द्वारा श्री प्रीतिसूरिजी की तत्वावधानता में पचासन बनवाया । ( ३२५ ) वरमाण के चैत्य में प्रतिमा सं० १३५१ माघकृ० १ सोमवार के दिन प्राग्वाट "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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