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________________ ( ३०४ ) की प्रतिमा तथा पद्मशिला करवाई । फूहड़ के द्वारा लेख उत्कीर्ण करवाया । ( ३२९ ) सं० १३७३ बैशाख शु० ११ शुक्रवार के दिन ठ० झांझांने माता आंजना ( अंजना ) देवी, पुत्र के कल्याणार्थ कुलसंघीय भट्टारक श्रीपद्मनन्दी के सदुपदेश से श्रीचन्द्रप्रभस्वामी का (पंचतीर्थी ) बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया । ( ३३० ) सं० १४०६ फाल्गुन शु० १० गुरुवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० सुलस की भार्या सोहगदेवी के कल्याणार्थ पुत्र व्य० धधकने श्रीधनेश्वरसूरि के द्वारा श्रीपार्श्वनाथ का (पंचतीर्थी ) बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया | ( ३३१ ) दयाणा (सिरोही) कायोत्सर्गस्थ प्रतिमा - सं० १०११ आषाढ़ शु० ३ शनिवार के दिन सनड़ भार्या नयनाबाई पुत्र वसिया, भार्या वयजलदेवी पुत्र लक्ष्मणसिंहने श्रीपार्श्वनाथ के युग्म ( दो कायोत्सर्गस्थ ) बिम्ब बृहद्गच्छीय परमानन्दसूरि के शिष्य श्रीयक्ष देवसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाये | "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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