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________________ ( २७२ ) वंत भा० हृषाबाई के पुत्र वापराजने श्रीअभिनन्दनस्वामी का बिम्व (प्रतिष्ठित ) करवाया । ( २६७ ) सं० १५८.... वैशाखक० ५ के दिन वेलागरीग्राम निवासी प्राग्वाटज्ञातीय शाह दूदराजने भा० जाणीवाई पुत्र जयवंतराज सहित अपने कल्याणार्थ श्रीश्रेयांसनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय मट्टा० श्रीजिनहर्षसूरि के उपदेश से हुई । सुतारों की सेरी के शांतिनाथचैत्य में धातुमूर्त्तियाँ ( २६८ ) . सं० १४८३ ज्येष्ठशु० ९ मंगलवार के दिन श्रीश्रीमाल - ज्ञातीय व्य० महिपाल भा० मीनलबाई पुत्र हरिभ्रम, पौत्र चांपा, पाल्हा, सिन्धु, नरवदने पिता, माता, भ्राता, तथा पुत्रों के श्रेयार्थ श्री आदिनाथमुख्यचतुर्विंशतिबिम्बपट्ट कराया, जिसकी प्रतिष्ठा थारपद्रगच्छीय श्री शान्तिरिने की । ( २६९ ) सं० १५१८ फाल्गुनकृ० १ सोमवार के दिन उपकेशज्ञातीय नाहरगोत्रीय व्य० कुशलचन्द्रने भा० कील्हणबाई पुत्र त्रिहुणा, महणा, पेमा, अंमर सहित अपने पिता व स्वश्रेयार्थ श्री सुविविनाथचतुर्विंशतिजिनपट्ट करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीधर्मघोषगच्छीय श्रीपद्मानन्दसूरिने की । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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