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________________ (२७१) ऐसा होता है कि भोज और विजयराज अविवाहित थे। चारोंने मिलकर पट्ट प्र. करवाया।) (२६३) सं० १५१९ मार्गशिरशु० ५ शुक्रवार के दिन श्रीश्रीभालज्ञातीय व्य. हिमाला भा० हिमादेवी के पुत्र वनराजने अपने श्रेयार्थ मा० चांपू, पुत्र पर्वत, नरवर, नायक, नलराज, जुगराज, लक्षराज सहित श्रीचन्द्रप्रभस्वामी का बिम्ब अंचलगच्छीय श्रीजयकेशरपरि के उपदेश से प्रतिष्ठित करवाया। (२६४) सं. १५२० पौषक. ५ शुक्रवार के दिन श्रीमूलसंघीय न्य. कृष्णराज मा० झबुबाई पुत्र माणक भा० वारुबाई के पुत्र हरिदासने सरस्वतीगच्छीय भट्टा० सकलकीर्ति के पट्टधर भट्टा० श्रीविमलेन्द्रकीर्ति के द्वारा श्रीआदिनाथ का बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया । (दिगम्बरमतीय) (२६५) सं० १६११ फाल्गुनक०२ शुक्रवार के दिन कहुआमतानुयायिनी निसमुबाईने और थिरापद्रनिवासी मुहत्ताबाईने श्रीसुमतिनाथजी का बिम्ब (प्रतिष्ठित) करवाया । (२६६) सं० १६६१ फाल्गुन २ शुक्रवार के दिन गृहीउदय "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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