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________________ (२४०) श्रीदेदा मा० देल्हणदेवी के पुत्र दराजने अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीविमलनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा विष्पलगच्छीय त्रिमविया श्रीधर्मप्रमरिने की । (१५३) सं० १५०१ पौषकृ० श्रीश्रीमालक्षातीय श्रे० नयनराज के पुत्र कर्णराजने पितृव्य तुहणा, मना, इंगर, बदा (और) माता पाती के श्रेयार्थ श्रीनेमिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा सिद्धान्ती श्रीसोमचन्द्रसरिने की। (१५४) __ सं० १५१५ ज्येष्ठक. १ शुक्रवार के दिन अहमदावाद. मिवासी प्राग्वाटजातीय मं० लीवराज मा० मंथवाई के पुत्र अदराज भा० भांजीबाईने अपने श्रेयार्थ श्रीअजितनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा वृहत्तपापक्षीय श्रीरत्नसिंहसरिने की। सं० १५२४ चैत्रक० ५ के दिन श्रीमालझातीय श्रे० भावराज मा० लालूदेवी पुत्र राजाने मा० राजू, पुत्र जीवराज, लाडराज, रत्नराज सहित पिता माता और स्वश्रेयार्थ श्रीश्रेयांसनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा धारण. पद्रीय मा० श्रीलक्ष्मीदेवसरिने की । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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