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________________ ( २३९ ) बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा ब्रह्माणगच्छीय श्रीमणिचन्द्रसूरिने की । ( १४९ ) सं० १३४१ ब्रह्माणगच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० साइड के श्रेयार्थ उसके पुत्र लापराजने श्रीधरसूरि के द्वारा बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया । ( १५० ) सं० १५०३ ज्येष्ठक० ३ सोमवार के दिन मावडार - गच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० सोनराज भा० महीदेवीने अपने पुण्यार्थ श्रीवासुपूज्यस्वामी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीकालिकाचार्यसन्तानीय पूज्य श्री वीरसूरने की । ( १५१ ) सं० १५२७ माघकृ० ५ गुरुवार के दिन प्राग्वाट ज्ञातीय शा० करणा भा० भापुदेवी के पुत्र वीढाने स्वभा० राजुलदेवी, पुत्र शा० पालराज आदि कुटुम्बीजन सहित श्रीसंभवनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय श्रीलक्ष्मीसागरसूरिने की । ( १५२ ) सं० १४७१ मात्रशु० ३ के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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