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________________ ( २३२) (१२७) सं० १५.... माघक. २ गुरुवार के दिन सहूआला ग्राम निवासी प्राग्वाटजातीय श्रे० धांगा भा० पंगादेवी के पुत्र पर्वतने स्वभार्या मटकदेवी पुत्र कर्मण आदि कुटुम्बी जन सहित श्रीविमलनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा वृद्धतपागच्छीय म० श्रीजिनसुन्दरसूरिने की। (१२८) सं० १५२३ वैशाखशु० १३ के दिन प्राग्वाटज्ञातीय व्य. मुंजराज भा० जसूदेवी के पुत्र हापाकने स्वभा० रत्नादेवी पुत्र जावड़, जीवराज, जागा आदि कुटुम्बीजन सहित अपने श्रेयार्थ श्रीअभिनन्दनप्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छनायक श्रीलक्ष्मीसागररिने मृजिगपुरमें की। (१२९) सं० १५२६ पौषक.२ गुरुवार के दिन कहीआणाग्राम निवासी ब्रमाणगच्छीय श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० रामा मा० रत्नदेवी के पुत्र वरदेवने स्वमा० वील्हणदेवी पुत्र मांजर, माखर सहित अपने माता पिता के श्रेयार्थ श्री सुमतिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्री बुद्धिसागरमरिने की। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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