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________________ ( २३१ ) ( १२४ ) सं० १५३२ ज्येष्ठशु० १३ बुधवार के दिन उपकेशज्ञातीय व्यव० कीका भा० सरस्वती पुत्र खेता मा० रंगीबाई पुत्र रूपचन्द्र ने भ्राता देवराज के तथा अपने श्रेयार्थ श्री मिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा सत्यपुर में भावडारगच्छीय श्रीभावदेवसूरिने की । ( १२५ ) सं० १५६० वैशाखशु० ३ के दिन सं० खेता मा० इांसलदेवी के पुत्र सं० खेटा के भ्राता सं० अर्जुनदेवने स्वभार्या अधिकादेवी, पुत्र सं० भांडन, भ्रातृज सं० डूंगर, वना, जेसा आदि परिजनों के सहित वृद्धपितृव्य सं० मेहराज के श्रयार्थ श्रीवासुपूज्यस्वामी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय श्रीसोमसुन्दरसूरि के पट्टधर श्रीकमलसूरिने की । ( १२६ ) सं० १५४३ ज्येष्ठशु० ११ के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय कय० समघर भा० जीवनी देवी के पुत्र व्य० धर्मसिंहने स्वभा० मणिकदेवी पुत्र महिराज, वरजा आदि सहित अपने श्रेयार्थ श्रीशीतलनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीश्रीसूरिने तथा पूज्य श्रीसौभाग्यरत्नसूरने की । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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