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________________ ( २३३) (१३०) सं० १५१७ वैशाखशु० १२ मंगलवार के दिन बालुकर ग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० हलराज भा. हेलीबाई के पुत्र शिवसिंहने अपने पिता, माता तथा पूर्वजों के श्रेयार्थ श्रीश्रेयांसनाथ पंचतीर्थी करवाई, जिसकी प्रतिष्ठा पिपलगच्छीय भट्टा० श्रीगुणरत्नसूरिने की। (१३१) सं० १५४८ वैशाखक. १. रविवार के दिन पत्तन निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय सिद्धशाखा में शा० लक्ष्मणसिंह भा० मांजूदेवी पुत्र मदा ( मदनसिंह) भा० मांफदेवी पुत्र तेजसिंहने अपनी मा० मल्हादेवी सहित पिता, माता, भ्राता एवं अपने भेयार्थ श्रीशीतलनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय श्रीरत्नदेवमरि के पट्टधर श्री पमानन्दरि के द्वारा हुई। (१३२) ___ सं० १४९९ कार्तिकशु० १५ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमालक्षातीय व्यव० सूरा मा० सुहवदेवी के पुत्र पता (प्रतापमल) और रुद्रदेवने अपने कल्याणार्थ श्रीसंभवनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिमविया श्रीधर्मशेखरसरिने थारापद्र नगर में की। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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