SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२२३) बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमागच्छीय श्रीगुणधीरसरि के उपदेश से हुई। (९६) सं० १५०१ पौषकृ. ६ शुक्रवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० वगसा भार्या जेसलदेवी के पुत्र धड़सिंहने अपने पिता, माता, भ्राता के श्रेयार्थ जीवितस्वामि श्रीसुमतिनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा नागेन्द्रगच्छीय श्रीपमानन्दसूरि के पट्टधर श्रीविनयप्रभसूरि के द्वारा हुई। (९७) सं० १५०५ वैशाखशु० २ बुधवार के दिन लढाऊगोत्रीय सं० नगराज भा. लाठीबाई पुत्र सं० धनराजने मा० सुवर्णादेवी पुत्र सं० कालू प्रमुख परिजनों के साथ अपने श्रेयार्थ श्रीसुविधिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीखरतरगच्छीय गुरुश्रीजिनभद्रसरिने की। (९८) सं० १४९३ वैशाखशु० ५ बुधवार के दिन फलौदिया. गोत्रीय शा० छाहू भा० छाजूबाई पुत्र सावाने अपने पुण्यार्थ श्रीसुमतिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा धर्मघोषगच्छीय भट्टा० भीपद्मशेखरसूरि के पट्टधर म. श्रीविजयचन्द्रसरिने की। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy