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________________ (२२२) श्रेयार्थ श्रीसुविधिनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छेश्वर श्रीरत्नशेखरसूरि के पट्टधर श्रीलक्ष्मीसागरसरिने की। (९३) सं० १५१७ पौषकृ. ५ गुरुवार के दिन राडबड़ग्राम निवासी श्रीमालज्ञातीय श्रे० वीरमदेव भा० विह्नणदेवी के पुत्र राहुल, भीमदेव भा० धीरजदेवी पुत्र हापाने अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीसुविधिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पुर्णिमापक्षीय श्रीमुनिसिंहमूरिने की। (९४) सं० १५११ माघशु. ५ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमाल ज्ञातीय व्यव० कर्मसिंह मा० मदीबाई पुत्र महिपालने पिता माता व आत्मश्रेयार्थ श्रीसुमतिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय श्रीराजतिलकसरिने स्थिरापद्र (थराद )पुर में की। सं० १५३६ फाल्गुनशु०३ सोमवार के दिन साणीग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० लूणसिंह भा. वमकुबाई पुत्र भोजराजने भा० अमकुबाई, पुत्र रहियादि परिजनों सहित अपने माता पिता के श्रेयार्थ श्रीश्रेयांसनाथजी का "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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