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________________ ( २१० ) ज्ञातीय महाजनी सोमराज भा० शमकलदेवी, द्वितीया भा० मृगादेवी के पुत्र वाळाने माता, पिता, पितृजनों के श्रेयार्थ श्रीचन्द्रप्रभस्वामी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमागच्छीय श्रीवीरप्रभसूरि के पट्टधर श्रीकमलप्रभसूरिने सविधि की । ( ५४ ) सं० १४९७ वैशाखकृ० ६ शुक्रवार के दिन बडलीनगर निवासी डीसावालज्ञातीय श्रे० कउझा भा० माकू के पुत्र समधरने भा० लाछी ( लक्ष्मी ) के सहित अपने पिता के कल्याणार्थ श्रीसुपार्श्वनाथ का विश्व करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय श्रीमाणिया श्रीजयशेखरसूरि के उपदेश से हुई । ( ५५ ) सं० १३४७ वैशाखकु० ५ शुक्रवार के दिन श्रीमन्मंडलने गुरु के उपदेश से ... साधुप्रभसिंहमुनि के द्वारा प्रतिमा ( प्रतिष्ठित ) करवाई | ( ५६ ) सं० १५१५ माघशु० १ शुक्रवार के दिन श्रीश्रीमाल ज्ञातीय पिता देपाल, माता धापूबाई के श्रेयार्थ उसके पुत्र खीमा और खेताने श्रीनमिनाथ का बिम्ब करवाया, जिसकी "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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